Published On : Tue, May 10th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

भाजपा के गढ़ में शिवसेना का ‘मिशन महापौर’

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– नागपुर मनपा चुनाव में सभी सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही शिवसेना

नागपुर – पिछले 2 साल से शिवसेना और भाजपा के मध्य राजनैतिक संघर्ष चल रहा हैं.दोनों पक्ष एक-दूसरे पर राजनैतिक वॉर करने का कोई मौका नहीं चूक रहे.इसी बीच मुंबई मनपा और नागपुर मनपा का चुनाव दोनों पक्षों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया हैं.एक ओर मुंबई में भाजपा तो दूसरी ओर नागपुर में शिवसेना एक-दूसरे को धूल चटाने के लिए कमर कस रही हैं.इस क्रम में नागपुर में शिवसेना ‘मिशन महापौर’ का उद्देश्य लिए सक्रीय हो गई हैं.

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याद रहे कि एक समय था जब राज्य में शिवसेना बड़ा पक्ष हुआ करता था,तब भाजपा सहयोगी पक्ष होकर सत्ता के भागीदारी करते थे,इसके साथ ही शिवसेना का मुंबई के आसपास के क्षेत्र में गहरा प्रभाव होने से स्थानीय निकायों में उनकी तूती बोला करती थी.कुछ मनपाओं में खासकर मुंबई मनपा में शिवसेना का एकतरफा राज अबतक रहा.

इसी बीच भाजपा ने अपने संगठन क्षमता और कूट नीति के तहत राज्य के कोने कोने में अपना प्रभाव बढ़ाया और कल के बड़े भाई “शिवसेना” को आँख दिखाना शुरू किया,नतीजा शिवसेना और भाजपा के मध्य काफी तनातनी हो गई,एक दूसरे से दुरी को हजम न करते हुए भाजपा ने आजतक अनगिनत राजनैतिक वॉर भाजपा पर किये तो इसके प्रतिउत्तर शिवसेना ने भी हाजिर जवाब दिया और देती आ रही हैं.

इस द्वन्द के कारण भाजपा राज्य में सत्ता से दूर हो गई और शिवसेना राज्य का नेतृत्व कर रही.

इसी द्वन्द के कारण भाजपा मुंबई मनपा तो शिवसेना नागपुर मनपा पर अपना कब्ज़ा ज़माने के लिए तैयारी कर रही हैं. फ़िलहाल मुंबई मनपा पर शिवसेना और नागपुर मनपा पर भाजपा का बहुमत हैं.दोनों से दोनों मनपा की सत्ता हथियाना आसान नहीं।

मुंबई मनपा में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए भाजपा ने बड़ा प्रयास किया,जिससे उन्हें लग रहा कि इस दफे वे शिवसेना को टक्कर दे सकते हैं.

वहीं दूसरी ओर नागपुर मनपा में शिवसेना की स्थिति फ़िलहाल काफी दयनीय हैं,भाजपा के 107 तो शिवसेना के 2 नगरसेवक हैं.ऐसे में शिवसेना का ‘मिशन महापौर’ का उद्देश्य सिर्फ कागजों तक सिमित रह जाएगा।क्यूंकि शिवसेना के पास उनके मूल शिवसैनिकों को तवज्जों देने की फुर्सत नहीं,शिवसेना का नेतृत्व संभाल रहे नेता का शिवसेना से कोई वास्ता नहीं,वे अपने इर्द-गिर्द पदाधिकारियों तक सिमित होने से एवं गुटबाजी में विभक्त स्थानीय शिवसैनिक सह पदाधिकारी का नागपुर मनपा चुनाव में उल्लेखनीय प्रदर्शन मुमकिन नहीं।अगर गठबंधन या अन्य जिताऊ बाहरी उम्मीदवारों को अपने पक्ष में ला पाए तो बात और होगी।

घोषणा के अनुरूप सभी सीटों पर शिवसेना में उम्मीदवार खड़ा किया तो उन्हें बाहरी उम्मीदवारों पर आश्रित होना पड़ेगा।क्यूंकि शिवसेना ने पिछले डेढ़ दशक में पक्ष मजबूती के लिए कोई ठोस उपाययोजना नहीं की.इस चक्कर में भाजपा का कोई नुकसान नहीं होने वाला,कुछेक सीटों में असर दिख सकता है,जिसके लिए वैसे भी भाजपा मानसिक रूप से तैयार रहती आई हैं.

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