नागपुर: मनपा चुनाव हेतु भाजपा और शिवसेना की युति की संभावना लगभग ख़त्म हो गयी है। मुंबई में सेना सक्षम है। नागपुर में भाजपा को युति की जरुरत नहीं है। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने किसी के सामने न झुकने की बात कहकर मुंबई में भाजपा से युति लगभग नकार ही दी है। नागपुर में शिवसेना की स्थिति ऐसी है ही नहीं कि युति के लिए भाजपा उस पर विचार करे।
नागपुर महानगर पालिका में फ़िलहाल शिवसेना के सिर्फ 6 नगरसेवक हैं। इसमें से 2 कांग्रेस में जा चुके हैं। बचे 4 नगरसेवकों में आपस में बनती नहीं है। शिवसेना के दिग्गज नेताओं की उदासीनता से सभी प्रभागों में उम्मीदवार मिलना कठिन है। नागपुर में सेना की दयनीय स्थिति है। सिर्फ चुनाव आने पर सेना में दावेदारों की संख्या बढ़ जाती है, वैसे वर्षभर सेना की तरफ़ से कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ाने या पार्टी गतिविधि के लिए कोई प्रयास होते दिखाई नहीं देते हैं।
इस मनपा चुनाव में 151 वार्ड के लिए 550 इच्छुकों ने शिवसेना के बैनर तले चुनाव लड़ने की पेशकश की है। इनमें से कुछ प्रभावी समाजसेवक, कार्यकर्ता हैं जो उल्लेखनीय छाप छोड़ सकते हैं। वे खुद के नाम पर 3-4 हज़ार वोट ले सकते हैं तो कुछ अपने बल पर जीत भी सकते हैं। इस वजह से सेना पदाधिकारी प्रफ्फुलित हैं और आपसी मतभेद भूलकर चुनावी जंग में सक्रिय हो गए हैं। वे भाजपा को सबक सिखाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस में गुटबाजी किसी से नहीं छिपी है। इस चक्कर में कई कांग्रेसी सेना के संपर्क में हैं। हाल ही में शेखर सावारबांधे की पुनः सेना में वापसी हुई है, पार्टी इस वजह से भी उत्साहित है। भाजपा में इच्छुकों की लंबी फेरहिस्त है, चुनाव लड़ने के इच्छुक और भाजपा टिकट न मिलने वाले सेना के संपर्क में जा सकते हैं।
सेना के जिला संपर्क प्रमुख एमएलसी तानाजी सावंत, उप संपर्क प्रमुख प्रकाश जाधव, शेखर सावारबांधे आदि ठोस रणनीति के जरिए इस बार मनपा में शिवसेना के दो दर्जन से ज्यादा नगरसेवक भेजने के लिए प्रयत्नशील हैं।