नागपुर – स्कूली छात्रों में जिज्ञासा पैदा करने के साथ-साथ विज्ञान और गणित में रुचि पैदा करने के उद्देश्य से, समग्र शिक्षा अभियान के तहत गुट साधन केंद्र के तहत नागपुर में स्थानीय स्व-सरकारी निकायों के 75 स्कूलों में नवीन विज्ञान प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं। छात्रों के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। लेकिन इन विज्ञान केंद्रों की सामग्री का उपयोग नहीं होने के कारण ये धूल में पड़े हैं। वहीं, अन्य करोड़ पांच लाख सामग्री की खरीद के लिए टेंडर निकाला गया है। ये विज्ञान प्रयोगशालाएं नागपुर जिला परिषद और नगर परिषद के साथ-साथ आश्रम स्कूलों और नगरपालिका स्कूलों में स्थापित की गई हैं।
प्राय: गुणवत्तापूर्ण प्रयोगशालाओं के अभाव में इन विद्यालयों में छात्र रुचि एवं इच्छा के बावजूद विभिन्न विज्ञान प्रयोग करने से वंचित रह जाते हैं। इसलिए छात्रों के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर स्कूलों में इस ‘साइंस लैब’ की स्थापना की गई है। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया गया था।इसके पीछे उद्देश्य यह था कि यह केंद्र कक्षा 5 से 8 तक के छात्रों के लिए प्रयोगों के माध्यम से विज्ञान सीखने के लिए उपयोगी होगा।
‘यू-डाइस’ में अंकों की संख्या के आधार पर सरकार ने राज्य स्तर से ‘म्युचुअल स्कूलों’ का चयन कर ‘म्युचुअल सेंटर’ को सामग्री भेजी। लेकिन पूर्व में चयनित जिप के 23 विद्यालयों में विज्ञान केन्द्र के लिए कोई कक्षा उपलब्ध नहीं थी। इसलिए कहा जाता है कि वहां विज्ञान सामग्री रखी जाती है। तो जिन जगहों पर जगह होती है, वे सामग्री उपयोग में नहीं होती हैं, वे अब धूल खा रही हैं। कई विद्यालयों में बिजली न होने पर भी विज्ञान केंद्र उपलब्ध कराए गए।
उल्लेखनीय यह है कि विज्ञान केंद्र की सामग्री स्कूल भिजवाने के बाद जिला परिषद के शिक्षा विभाग को निरीक्षण के लिए भेज दिया गया है. सूत्रों का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा विज्ञान केंद्र की खामियों की सूचना देने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। करोड़ों रुपये की लागत से बने विज्ञान केंद्र आज उपयोग में नहीं हैं। इसलिए सरकार का लक्ष्य आज उसी विज्ञान केंद्र की तरह नष्ट हो रहा हैं.