Published On : Tue, Mar 12th, 2019

अब हर जगह नहीं खुल पाएंगी नर्सरी, केजी-1 और केजी-2 की स्कूलें

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नागपूर: राज्य सरकार के शिक्षा मंत्रालय और महिला एवं बालकल्याण विभाग के संयुक्त प्रयासों से सी. सी.केंद्रीय निति को अमल में लाने की घोषणा की गई है. पूर्व बालावस्थांतर्गत संगोपन और शिक्षा सभी जिला परिषद् की कार्यकारी समिति तैयार कर पूर्व प्राथमिक शिक्षा लेने की नीति को दोनों मंत्रालय की संयुक्त रूप से अमल में लाए जाने की बैठक जनवरी 2019 को ली गई थी. जिसके कारण अब स्कूलों को स्वतंत्र शिक्षा शुल्क लेने का अधिकारी समेत अन्य अधिकार दिए गए हैं.

नॅशनल अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन नीति के तहत 0 से 6 साल के बच्चों को शिक्षा देने का राज्य के सभी निजी शासकीय, बालवाड़ी, आंगनवाड़ी और संस्थान के पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए 1 मार्च 2019 से लागू हो जाएगी. 1 से 6 साल के सभी बच्चों की शैक्षणिक जानकारी पोर्टल पर महिला एवं बालकल्याण विभाग के सीएसआर पर अपलोड करनी होगी. सभी शासकीय और अशासकीय पूर्व शिक्षा स्कूलों के नियंत्रण की जिम्मेदारी महानगर पालिका, जिला परिषद्, नगर परिषद् व् महिला बालकल्याण की रहेगी. नर्सरी, केजी-1 और केजी-2 की स्कूल अब हर जगह नहीं शुरू की जा सकेगी. इसके लिए भी सरकार ने नियम बनाएं.

शासन निर्णय क्रमांक 6 में 0 से 6 साल के बच्चों की पूर्व शिक्षा शुल्क लेने के अधिकार को स्वतंत्र रखा गया है. आरटीई नियम 2009 में शिक्षा का बाजारीकरण न हो यह बात कही गई है.

इस बारे में आरटीई एक्शन कमेटी के चेयरमैन मो. शाहिद शरीफ ने कहा है कि शिक्षा शुल्क लेने के अधिकार को शासन निर्णय में स्वतंत्र रखा गया है. कई स्कूलें बच्चों के साक्षात्कार भी लेते हैं. जबकि नियम के अनुसार 0 से 6 क्लास के बच्चे का किसी भी प्रकार से साक्षात्कार नहीं लिया जा सकता.

उन्होंने कहा कि दोनों नियमों का उल्लंघन इस शासन निर्णय में स्पष्ट दिखाई दे रहा है. जिसका आरटीई एक्शन कमेटी,एजुफर्स्ट वूमेन एंड चाइल्ड फाउंडेशन विरोध करती है. उन्होंने कहा की अगर सरकार ने शिक्षा के बाजारीकरण और बालहक्क अधिनियम के उल्लंघन को न रोका गया तो वे उच्च न्यायलय में याचिका डालेंगे और बच्चों को न्याय दिलाएंगे.