- प्रतिदिन हजारों ब्रास रेत उत्खनन
- तस्करों को किसान कर रहे हैं मदद
- नागरिकों ने चेताया विभाग हो रहा है भारी नुकसान
देऊलगाँवमही (बुलढाणा)। कभी किसानों के लिए वरदान समझी जाने वाली खड़कपूर्णा नदी अब रेत तस्करों के लिए सोने की खान बनी हुई है. कई दिनों से देऊलगाँवराजा तालुका के रेत तस्कर खड़कपूर्णा नदी से रात—दिन रेत उत्खनन कर जहाँ नदी को तहस-नहस कर रहे हैं वहीं सरकार को लाखों का चूना लगाने में मशगूल नजर आ रहे हैं. इस नजारे को देखकर ऐसा लग रहा है मानो सब कुछ सोची-समझी साजिश के तहत मूक सहमति प्रदान की जा रही हो. यदि ऐसा नहीं है तो इन तस्करों की सीनाजोरी किस बिनाह पर चल रही है, ऐसे सवाल नागरिक कर रहे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, खड़कपूर्णा नदी रेत घाट की नीलामी फिलहाल नहीं की जा सकी है. इससे कई रेत तस्करों की नजरें इस पर टिक गई हैं. सिंदखेड़राजा उपविभागीय अधिकारी डॉ. विवेक घोड़के ने रेत तस्करों के खिलाफ मुहिम चलाते हुए कई बार छापेमारी की. उससे रेत चोरी पर कुछ हद तक अंकुश लगा था. मगर यह सिलसिला फिर से रफ्तार से चल पड़ा है. नारायणखेड़ व निमगाँवगुरु के कई किसान अपने खेतों से रास्ता देकर तस्करों से १०० रुपये प्रति ट्रैक्टर के हिसाब से पैसे वसूलने की बात कही जा रही है. इससे रेत की चोरी बढ़ती नजर आ रही है. इसमें कई होमगार्ड, कोतवाल पैसे वसूली में मशगूल दिख रहे हैं. इससे नदी में बड़े-बड़े गड्ढे होते जा रहे हैं. वहीं नदी में बिछायी गई पाइप-लाइन टूट-फुट रही है. रेत तस्करी/ चोरी की शिकायत को रोकने की माँग नागरिकों द्वारा कही जा रही है.
फौजदारी कार्रवाई करें : शिंगणे
कई दिनों से चल रही रेत चोरी से महसूल विभाग को भारी नुकसान हो रहा है. इनको पकड़ कर दण्डात्मक कार्रवाई न करते हुए फौजदारी मुकदमा की जानी चाहिए. स्थानीय नागरिक सुभाष शिंगणे ने उक्त माँग की. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता रवीन्द्र इंगले ने भी बयान जारी कर कहा कि बड़े पैमाने पर हो रही चोरी के कारण सड़कों पर तेज रफ्तार से वाहन दौड़ाने से दुर्घटनाएँ हो रही हैं. वहीं इस चोरी में नारायणखेड़ परिसर के शामिल किसान को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए. यदि निकट भविष्य में इन पर कार्रवाई नहीं की जाती तो विभाग को खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है.