नागपुर: सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों के बीच में एक गलत धारणा बनी हुई है. नागपुर शहर में भी नागपुर महानगर पालिका की ऐसी कई स्कूलें हैं जो काफी बेहतर स्थिति में है. विद्यार्थियों को बेहतर बनाने के लिए स्कूल के प्रिंसिपल के साथ ही शिक्षक भी प्रयासरत हैं. महल के मंगलवारी में स्थित साने गुरूजी उर्दू माध्यमिक व कनिष्ठ महाविद्यालय की व्यवस्था विद्यार्थियों की संख्या और स्कूल की साफसफाई देखते ही बनती है. स्कूल में 5वीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी पढ़ते हैं. स्कूल में फिलहाल 154 विद्यार्थी है जहां 8 से 10 क्लासरूम है.
स्कूल की व्यवस्था और सुविधा
स्कूल में बेहतरीन व्यवस्था है. यहां 10 कंप्यूटर है, जिसके माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है. कंप्यूटर लैब भी है. स्विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए 11 शिक्षक और दो चपरासी भी है. स्कूल के परिसर में बड़ा मैदान है. स्कूल और स्कूल के बाहर गन्दगी बिलकुल भी नहीं दिखाई देगी. 2 शिक्षकों को छोड़कर सभी को उर्दू आती है. शौचालय की व्यवस्था और पीने के पानी की व्यवस्था भी अच्छी है. विद्यार्थियों को किसी भी तरह से मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है. ज्यादातर विद्यार्थी अल्पसंख्यक और गरीब होने की वजह से कुछ विद्यार्थियों के लिए स्कुल के ही शिक्षकों द्वारा ऑटो और वैन भी अपने खर्च पर लगाए गए हैं.
संख्या बढ़ाने प्रिंसिपल और शिक्षक भी करते हैं प्रयास
सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की कम होती संख्या चिंता का विषय है. पिछले वर्ष 174 के करीब विद्यार्थी थे, इस बार 154 विद्यार्थी है, जिसमें से 20 विद्यार्थी कम हुए हैं. 2009-2010 के समय तकरीबन 550 विद्यार्थियों की संख्या थी. स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए लोगों में जागरुकता के साथ साथ विद्यार्थियों के पालकों को समझाना होता है. तभी वे अपने बच्चों को मनपा की स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं.
स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या कम होने का कारण बढ़ती स्कूलों की आबादी भी है और इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना देखने वाले अभिभावकों के कारण भी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है.
स्कूल के विकास को लेकर क्या कहते हैं प्रिंसिपल
स्कूल के प्रिंसिपल श्याम गोहोकर कुछ दिन पहले ही इस स्कूल में आए हैं. पहली बार उनका मनपा की किसी उर्दू स्कूल में उनका ट्रांसफर हुआ है. इससे पहले वे मराठी स्कूल में कार्यरत थे. उनका कहना है कि स्कूल में विद्यार्थियों के लिए विभिन्न एक्टिविटीज़ की जाती हैं.
अभी कुछ दिन पहले ही ड्रॉइंग कॉम्पीटीशन का आयोजन किया गया था. विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देने के लिए वे खुद उनकी कॉपियां जांचते हैं और उस पर राइट मार्क करते हैं, जिससे की उनका आत्मविश्वास बढ़े. विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने को लेकर उन्होंने कहा कि दिसंबर महीने से विभिन्न परिसर में जाकर विद्यार्थियों के पालकों को एडमिशन करने को लेकर जागरुक किया जाएगा और निश्चित ही स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ेगी .
शमानंद तायडे