- गट ग्राम पंचायत मोहगांव-सावंगी का स्तुत्य उपक्रम से जल बचत के साथ पर्यावरण संरक्षण
- पेड़ लगाने पर ही प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सकता है : ठाकरे
सवांदाता / निशांत टाकरखेड़े
नागपुर ग्रा.। बारिश शुरू होते ही सभी प्राणियों के साथ-साथ वृक्ष भी हरे-भरे नजर आते हैं, परंतु औद्योगिक क्रांति के साथ कच्चा माल व बस्तियों के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षों की कटाई की जाती रही है. उसी के दुष्परिणाम सभी प्राणियों पर पड़ रहा है. इसी दुष्परिणाम को दूर करने के लिए सभी का कर्तव्य व जवाबदारी है कि बड़े पैमाने पर पेड़ लगाया जाए. इसके लिए सरकार ने पर्यावरण संतुलित ग्राम समृद्धि योजना प्रारंभ की है. इसमें तीन वर्ष में जितनी जनसंख्या बढ़ती है, उतने ही पौधे लगाने की आवश्यक बतायी गई है. इसी योजना अंतर्गत सुनील केदार के मार्गदर्शन में गट ग्राम पंचायत मोहगांव-सावंगी के सरपंच विजय ठाकरे ने गांव में वृक्षारोपण किया. यहां की जनसंख्या 1,175 है. बीते वर्ष लगाये गए 1,200 पौधों में से कई पौधे पानी के अभाव में बढ़ नहीं पाए. इस वर्ष बारिश कम होने से पौधों की सिंचाई एक चुनौती बन गई थी. इसलिए सरपंच ठाकरे व सचिव भोयर ने पहल करते हुए कचरे में डाले गए सलाइन का उपयोग कर उन्हें पौधों को लगाकर सींचने का काम किया, जो पूरी तरह सफल रहा. सलाइन लगाकर सिंचाई करने से 400 पौधों में नई जान डालने का उपक्रम रंग लाया. इसके सफल होने से सलाइन की अतिरिक्त उपयोगिता का पता चलने के साथ ही साथ पेड़ों के लिए वरदान भी साबित हो रहा है, इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा पूरे कलमेश्वर तहसील के ग्राम पंचायतों में की जा रही है, अब यह बात समाचार-पत्रों व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मार्फत पूरे भारत में फैल गई है.
पहले पौधों को कम-से-कम 12 लीटर पानी दिया जाता था, जिसमें 60 प्रतिशत का अपव्यय होता था और 40 प्रतिशत पानी ही पौधों को मिल पाता था. इस नए उपक्रम से ज्यादा से ज्यादा पानी सिर्फ पौधों को ही मिल रहा है. पौधों को लगभग पूरा पानी मिलने से जहां पर्यावरण संरक्षण की बात हो रही है वहीं पानी की भी बचत में मदद मिल रही है.
विश्व में जो अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं उनमें ग्लोबल वार्मिग एक भयावह समस्या है. इससे अतिवृष्टि, बाढ़, सूखा जैसी समस्याएं देखी जा रही हैं. कालांतर में इससे भी अधिक दुष्परिणाम हो सकते हैं. वहीं विश्व में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे तापमान से समुद्रों में अनेक परिवर्तन के साथ मानव को दुष्परिणामों का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल 49-50 सेंटीग्रेट तक तापमान पहुंच चुका है, इसके जवाबदार भी हम ही हैं. उद्योगीकरण व अन्य कई मानवीय भूलों के कारण भी तापमान दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है. इसके लिए युवाओं को पहल कर जहां जगह मिले ज्यादा से ज्यादा दीर्घवयीन पौधों को लगाने की आवश्यकता है. सरकार के सामाजिक वनीकरण के नर्सरी से कम कीमत में रोपें उपलब्ध करायी जाती हैं. यदि एक भी पौधा लगाया जाता है तो पर्यावरण संरक्षण के तहत यह बड़ी बात होगी. यह योगदान आने वाली पीढ़ी के लिए भी वरदान साबित होगा. वहीं इस दिशा में संत तुकाराम ने भी- वृक्षवल्ली आम्हा सोयरे वनचरे कहा था. इसलिए मानवीय जीवन व सृष्टि को बचाने के लिए हर एक व्यक्ति एक पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान देने की आज सख्त आवश्यकता है.
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