Published On : Tue, Aug 2nd, 2016

मृत पड़ी कांग्रेस जीवित तो हुई लेकिन धड़कनें तेज होनी है बाकी

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रामटेक लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेसी पशोपेश में

Rajendra Mulak, Mukul Wasnik and Sunil Kedar
नागपुर:
नागपुर जिले ( रामटेक लोकसभा ) में लोकसभा और विधानसभा चुनावी में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद जिलाध्यक्ष सह जिले से लेकर दिल्ली तक के तथाकथित नेता घर बैठ गए थे। ले-दे कर ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद् सह नगर परिषद् के कांग्रेसी पार्षद जिले में कांग्रेस का भार उठाये हुए थे। कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद जिला कांग्रेस को नया जिलाध्यक्ष मिला। लेकिन जिले के कांग्रेसियो में उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है। पक्ष में अंतर्गत कलह से जिले के कांग्रेसी हितैषी कांग्रेस की बदहाल स्थिति देख चिंतित है। फिर भी आशान्वित है कि समय रहते सब ठीक हो जायेगा।

जिले का कांग्रेसी जिलाध्यक्ष बनने के लिए जिले के दो गुटों में जबरदस्त रस्साकसी चली। इस स्पर्धा ने प्रदेश कांग्रेस की कमर तोड़ दी। दिल्ली स्थित महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़े कांग्रेसियों के भी पसीनें छुड़ा दिए। अंततः काफी गहमागहमी के मध्य मुकुल वासनिक समर्थक राजेंद्र मूलक को नया जिलाध्यक्ष दिल्ली से घोषित गया।

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लाजमी है कि जिलाध्यक्ष पद के दूसरे मजबूत दावेदार विधायक सुनील केदार अघोषित रूप से पार्टी के निर्णय और कांग्रेसी नेताओं से खफा हो गए। इसका असर नए जिलाध्यक्ष मूलक के पदारोहण सह सत्कार समारोह पर पड़ा। कांग्रेसी उत्सव में केदार की अनुपस्थिति ने समारोह को फीका कर दिया। इस वजह से समारोह के पूर्व व पश्चात् उन्हीं की चर्चा मंच पर और मंच के बाहर होती रही।

चर्चा थी कि इस मसले को अध्यक्ष पद के दोनों दावेदार आपसी सलाह-मशविरे साथ आपसी तनातनी ख़त्म कर लेते तो सभी की राह आसान रहती। दूरी कम होने से ही कार्यकर्ताओं का क्षेत्र सह जिलाध्यक्ष कार्यालय में आवाजाही से रौनक बढ़ेगी।

कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के हिसाब से आज अध्यक्ष और कार्यकर्ताओ के मध्य दूरी काफी है, जो ख़त्म होनी जरुरी है तभी कार्यकर्ता खुद को सहज महसूस करेंगे। मूलक ने विगत माह रामटेक विधानसभा चुनाव क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा अपने समर्थकों मध्य जाहिर की थी। यह इच्छा सम्पूर्ण रामटेक विस में आग की तरह फ़ैल गई। और जब मूलक ही जिलाध्यक्ष बन गए तो रामटेक के कांग्रेसी हतप्रभ हो गए कि अब मूलक विस कांग्रेस की टिकट ला ही लेंगे। इस छुब्धता के कारण स्थानीय दिग्गज कई कांग्रेसी मूलक से नहीं मिले। उनका यह कहना था कि मूलक की बजाय केदार अगर रामटेक से लड़ेंगे तो कांग्रेस की जीत की उम्मीद काफी है।

बन सकती है पैरेलल कांग्रेस गुट
खबर है कि जिले में केदार समर्थकों ने केदार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि आगामी चुनावों में केदार स्वतंत्र गुट खड़ा कर चुनाव लड़े। हालाँकि यह भी कड़वा सत्य है कि केदार पर किसी का दबाव नहीं चलता। लेकिन केदार ने स्वतंत्र पैनल खड़ा कर चुनाव लड़ा तो कांग्रेस को जिले में स्वयंभू कार्यकर्ता ही कांग्रेस को जीवित रख पाएंगे। क्योंकि केदार को स्वतंत्र गुट खड़ा कर सत्ता पर काबिज होने का अनुभव है। अब देखना यह है कि इन परिस्थितियॉ में कांग्रेस नेता-मंडली क्या भूमिका निभाती है। या फिर कांग्रेस को उसके हाल पड़ छोड़ अपने चुनाव की राह तकती है। इस पशोपेश में जिले के कांग्रेस समर्थक काफी असमंजस में है। जिले में पहले मनपा चुनाव होने है। फिर जिला परिषद् चुनाव। मनपा चुनाव का असर जिला परिषद् चुनाव पर पड़ना तय है।

– राजीव रंजन कुशवाहा

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