नागपुर : मंगलवार विधानपरिषद का कामकाज कैबिनेट मंत्री महादेव जानकर की वजह से हंगामे की भेंट चढ़ गया। चुनाव अधिकारी पर पार्टी उम्मीदवार के लिए दबाव बनाने आरोप झेल रहे जानकर का विपक्ष ने इस्तीफा माँगा। विपक्ष ने नियम 289 के तहत स्थगन प्रस्ताव देकर इस मुद्दे पर चर्चा और मंत्री की सफाई की माँग की। हालांकि सभापति ने विपक्ष की माँग को ठुकरा दिया जिसके बाद विपक्ष द्वारा लगातार किये जा रहे हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। हंगामे की वजह से आज फिर एक बार प्रश्नकाल नहीं हो पाया। तीन बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करने के बाद सभापति ने आखिर में दिन भर के लिए कार्यवाही को स्थगित कर दिया।
विपक्ष की ओर से दिए गए स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए सुनील तटकरे ने कहाँ की मंत्री का व्यवहार सबके सामने है। चुनाव आयोग ने इस संबंध में अपराध दर्ज करने का भी आदेश दिया है। सरकार का कद्दावर मंत्री अधिकारी पर दबाव बनाये तो यह जनता पर आघात है। इसलिए उन्हें तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। किसी मंत्री के पद पर रहते हुए किस तरह की भूमिका होनी चाहिए इस पर भी चर्चा होनी चाहिए। इस प्रस्ताव पर बोलते हुए कोंग्रेसी सदस्य शरद रणपिसे ने मंत्री के व्यवहार को भ्रस्टाचार से जोड़ते हुए गृह मंत्रालय की मामले की जाँच के संबंध में जानकर के खिलाफ ढिलाई बरतने आरोप लगाया।
विपक्ष के हंगामे के बीच स्थगन प्रस्ताव पर प्रभारी संसदीय कार्य मंत्री विनोद तावड़े सरकार की भूमिका रखी। उन्होंने कहाँ की उन्होंने 10 बार इस क्लिप को देखि है उसमे उन्हें कुछ गलत दिखाई नहीं दिया। वैसे भी चुनाव चिन्ह के संबंध में चुनाव आयोग तक अपनी बात पहुँचायी जाती है। विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव पर सत्ता पक्ष के किसी सदस्य को बोलने का मौका दिए जाने पर विपक्ष ने नाराजगी जतायी।