Published On : Sun, Jul 8th, 2018

लर्निंग लाइसेंस घोटाले में RTO अफसर सस्पेंड

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नागपुर: आरटीओ कार्यालय में दलालों के साथ मिलीभगत कर लर्निंग लाइसेंस का घोटाला करने वाले आरोपी सहायक मोटर वाहन निरीक्षक मंगेश रमेश राठौड़ को अंतत: राज्य परिवहन आयुक्त विशाल चन्ने ने सस्पेंड करते हुए इन्क्वायरी बैठाई. राठौड़ ने लर्निंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में दलालों की सहायता से करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार किया है. अफसर के निलम्बन से विभाग में खलबली मच गई है. अन्य 3 से 4 घोटालेबाज अधिकारियों पर भी निलम्बन की तलवार लटकी हुई है. जानकारी मिली है कि आफिसर विजय चौहान को राठौड़ की जांच सौंपी गई है लेकिन चौहान घोटाला करने वाले अधिकारी के सगे रिश्तेदार बताये जाते हैं. अब इसमें जांच किस दिशा में जायेगी यह तो समय ही बतायेगा.

कुल 6997 बनाये लाइसेंस
जानकारी के अनुसार राठौड़ द्वारा दलालों के साथ मिलकर नियमों का उल्लंघन करते हुए जनवरी माह में कुल 6997 लर्निंग लाइसेंस बनाये. इसमें कार्यालयीन समय खत्म होने के पश्चात और कार्यालयीन अवकाश के दिन कुल 1894 लाइसेंस बनाये. 6997 लाइसेंस में से देखा जाये, तो वीआईपी कोटे का दुरुपयोग करते हुए अधिकारी ने 4808 लाइसेंस और जनरल कोटे से 2099 लाइसेंस जारी किये. इतने लाइसेंस एक माह में बनाने का कारनामा पूरे महाराष्ट्र में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.

देखा जाये तो लाइसेंस बनवाने वाले परीक्षार्थी को आनलाइन टेस्ट देना पड़ता है, जिसमें पास होना बहुत जरूरी है. लेकिन अधिकारी ने सारथी प्रणाली के पिकअप मोड का दुरुपयोग कर बिना वरिष्ठों की अनुमति से आगे की तारीखों व अगले महीनों की तारीखों के अप्वाइंटमेंट को वीआईपी डालकर बिना परीक्षार्थी की मौजूदगी के निर्धारित ‘क्वीज एक्सपर्ट’ द्वारा टेस्ट देकर हजारों लाइसेंस बना डाले. जानकारी के अनुसार अधिकारी ने प्रति लाइसेंस के 2000 से 3000 रुपये की राशि ली. ऐसी भी जानकारी मिली है कि इसमें बड़ी संख्या में बाहरी कम्प्यूटरों का भी इस्तेमाल किया गया है.

रावते के शरण में कई दागी
राठौड़ की तरह ही कई भ्रष्टाचारी जूनियर अधिकारी सकते में आ गये हैं. डरे-सहमे अधिकारियों ने राज्य परिवहन मंत्री दिवाकर रावते की शरण ली है. वहीं कुछ ने इससे बचने के लिए बड़े नेताओं से संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया है. सभी अपनी-अपनी ड्यूटी बचाने के चक्कर में नेताओं के चक्कर लगा रहे हैं.

सीएम से नजदीकी का फायदा उठाने की फिराक में
वहीं आरटीओ के एक बड़े अधिकारी इन घोटालों से बचने के लिए सीएम से नजदीकी का फायदा उठाने की फिराक में लगे हुए हैं. वे हर तरफ से जोर-आमाइश पर तुले हुए हैं कि उन पर किसी तरह से आंच न आये. लेकिन इतना बड़ा लर्निंग लाइसेंस का भ्रष्टाचार बड़े अधिकारी की शह के बगैर नहीं हो सकता. इसका भी सरकार को ध्यान रखना चाहिए. विभाग में क्या हो रहा है, इसकी पूरी जानकारी सीसीटीवी में नजर आती है, इसके बावजूद अधिकारी ने इस पर लगाम नहीं लगाई.

शिवसेना ने सामने लाया घोटाला
शिवसेना के जिला प्रमुख प्रकाश जाधव और युवा सेना के नितिन तिवारी द्वारा किये गये 4 माह के फालोअप के बाद आरोपी अफसर का निलंबन हो सका है. अधिकारियों ने किस तरह घोटाले को अंजाम दिया है, उसकी प्रति सभी बड़े नेताओं के साथ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को भी भेजी गई है.