Published On : Sat, Dec 24th, 2016

धर्मसंस्कृति महाकुंभ से नागपुर बनी विश्व मांगल्य की राजधानी – भागवत

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नागपुर : रेशमबाग मैदान में चल रहे धर्मसंस्कृति महाकुंभ के दुसरे दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत प्रमुखता से उपस्थित थे। त्रि-दिवसीय समारोह के अंतर्गत शनिवार को प्रेरणा संगम का आयोजन हुआ, इसमें संत और सेना की एक समान भूमिका पर चर्चा हुई। पूर्व सैनिक, सैनिक के परिजनों और संत समाज ने इसमें भाग लिया। महाकुंभ के इस क्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि जिस कार्य को आजादी के तुरंत बाद शुरु हो जाना था, वह अब हो रहा है। इसमें देरी भले हुई हो पर इसका असर जल्द समाज पर होगा।

उन्होंने कहा कि शास्त्रों में लिखा है कि संत और सैनिक बराबर है।आज संयोग है कि संत और सैनिक एक मंच पर आए हैं। इस आयोजन के बाद नागपुर विश्व मांगल्य की राजधानी बन चुकी है और यहीं से सारे देश को मंगल बनाने का काम होगा। हमारे पास देश सेवा के दो ही उदहारण हैं, एक जो देश की रक्षा कर रहा है वह सैनिक और दूसरा संत समाज दोनों के जीवन का दर्शन ही देश की सेवा है। यह दोनों देश के लिए अहम् भूमिका निभा रहे हैं। संत और सैनिक की कोई खास पहचान नहीं होती लेकिन फिर भी हम उन्हें आसानी से पहचान लेते हैं।

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सैनिक आपात स्थिति और युद्ध के समय सहयोग करता है लेकिन समाज को सैनिकों का सदैव स्मरण करना चाहिए, उनके परिवार का ख्याल रखना चाहिए। हर काम सरकार और संस्था के भरोसे नहीं छोड़े नहीं जा सकते। संघ, संत तो नहीं बन सकता लेकिन हम जनजागृति के काम में लगे हैं। देश की सीमा पर लड़ने वाले जवान के मन में ये विश्वास दिलाना पड़ेगा कि समाज उसके परिवार का ध्यान देगा। यह आयोजन प्रेरणा देने वाला है।

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इसी सत्र को संबोधित करते हुए शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि संत और सैनिक एक जैसे है। पहले ऋषि हाथ में वेद और पीठ पर धनुष लेकर चला करते थे। यह परंपरा अदिकाल से चली आ रही है। संत समाज और सैनिक की भूमिका एक जैसी ही है। सन्यासी समाज के लिए न्यास की तरह कार्य करता है। उसकी अभिलाषा सिर्फ दो जून की रोटी के लिए होती है। यह आयोजन समाज में जागरूकता फैला रहा है। इस आयोजन के मंथन को सन्यासी और स्वयंसेवक घर – घर तक पहुचायेंगे। एयर मार्शल भूषण गोखले ने अपने संबोधन में कहाँ कि भारत के सैनिकों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। इस आयोजन से बेहतर परिवर्तन समाज में आएगा। देश युद्ध के समय हर तरह की मदद सैनिकों को देता है, लेकिन अब हर वक्त मदत किये जाने की आवश्यकता है। हम शहीदों के बेटों और बेटियों को मुफ्त में शिक्षा की व्यवस्था का प्रबंध करेंगे।

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