Published On : Sat, Feb 16th, 2019

रिपब्लिकन ने मनाई रमाई और माईसाहेब आंबेडकर की संयुक्त जयंती

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नागपुर: सीताबर्डी के विदर्भ साहित्य संघ में रमाई आंबेडकर और माईसाहेब आंबेडकर की संयुक्त जयंती मनाई गई. इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले, रिपब्लिकन विचारक कपिल सरोदे, डॉ. पूजा नाखले, माई साहेब के तत्कालीन सहकारी सुहास सोनवणे, रमाई के भांजे दीपक धोत्रे मौजूद थे. इस कार्यक्रम के अध्यक्ष हर्षवर्धन ढोके थे. कार्यक्रम की शुरुआत तीनों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की गई. समाज में जो सविता आंबेडकर के बारे में संभ्रम फैलाया गया है. उस पर लोगों की ग़लतफ़हमी दूर करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस दौरान मौजूद रामदास आठवले ने कहा कि बाबासाहेब अपनी पत्नी सविता आंबेडकर का काफी सन्मान करते थे. लेकिन कई लोगों ने माईसाहेब का गलत प्रचार समाज में किया है . कई लोगों को लगा कि माईसाहेब के आने से उनकी लीडरशिप को खतरा होगा, इसलिए माईसाहेब को बदनाम करने का प्रचार किया गया. उन्होंने कहा कि माईसाहेब के साथ उनके काफी अच्छे सम्बन्ध थे. आठवले ने कहा कि रिपब्लिकन बाबासाहेब की संकल्पना थी अगर सभी रिपब्लिकन नेता एक साथ आए तो वे अपना इस्तीफा देकर उनके साथ आने को तैयार हैं.

इस समय मौजूद पूजा नाखले ने कहा कि संस्कृति संस्कार से आती है. संस्कृति विकसित करने का काम माँ ही करती है. इसलिए दोनों माताओं के लिए यह कार्यक्रम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि समाज में माईसाहेब को लेकर बदनामी की गई है. माईसाहेब ने कठिन परिस्थिति में बाबासाहेब की सेवा की थी. बाबासाहेब ने उस समय कहा था की बुझती ज्योत को माईसाहब ने फिर से बढ़ाया है. हम जब उन पर आरोप करते है तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उनसे शादी करने का निर्णय बाबासाहेब ने लिया था. इसका मतलब हम यह कहना चाहते है कि बाबासाहेब ने गलत निर्णय लिया था. माई साहेब के तत्कालीन सहकारी सुहास सोनवणे ने कहा कि माई साहब की बदनामी करना बंद होना चाहिए. सोनवणे ने माईसाहब से जुडी उनकी यादों को साझा किया.

इस दौरान कपिल सरोदे ने कहा की पिछले साल भी माईसाहब की जयंती मनाई गई थी. सरोदे ने कहा की गलत किताबों के माध्यम से माईसाहब का गलत प्रचार किया गया है. उन्होंने कहा कि आज बोलने की आजादी नहीं है. हमारे ही लोग हमें गालियां दे रहे हैं. उन्होंने माईसाहब और रमाई को भारतरत्न देने की सिफारिश यहाँ मौजूद आठवले से की. उन्होंने कहा कि बाबासाहब ने कभी भी अम्बेडकरवाद का कांसेप्ट ही नहीं दिया. उन्होंने बताया कि रिपब्लिकन की विचारधारा के चलते हमारे घर पर अम्बेडकरी लोगों द्वारा ही हमले किए जा रहे हैं. यह बात उन्होंने इस दौरान आठवले को भी बताई.

हर्षवर्धन ढोके ने कहा कि वे मूलनिवासी, बहुजन, दलित इन शब्दों को नहीं मानते हैं और न ही वे अपने आपको यह सब कहते हैं. वे आपने आपको बौद्ध कहते हैं. इस दौरान उन्होंने माईसाहब पर आरोप लगानेवाले और उनकी बदनामी करनेवाले लोगों पर भी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि बाबासाहेब की विचारधारा को तोड़ने मरोड़ने का काम यहां के नेताओ ने किया है. जब नेताओं को रिपब्लिकन जिन्दा रखनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने कई पार्टियां बनाई.