Published On : Fri, May 5th, 2017

राष्ट्रभाषा ट्रस्टियों की संपत्ति जप्त कर की जाये वसूली – सिटिजन फोरम फॉर इक्विलिटी

Advertisement


नागपुर: 
ज़मीन के दुरुपयोग मामले में घिरी राष्ट्रभाषा सभा ने अब तक सप्रीम कोर्ट के आदेश के बावज़ूद जुर्माना नहीं भरा है। शंकानगर स्थित राष्ट्रभाषा सभा द्वारा लीज पर मिली ज़मीन का दुरुपयोग करने के मामले में क़ानूनी लड़ाई लड़ने वाली संस्था सिटिज़न फ़ोरम फॉर इक्वालिटी ने इसे अदालत की अवहेलना करार दिया है। फ़ोरम के मधुकर कुकड़े के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभा को 163 करोड़ 75 लाख रूपए एनआइटी को एक साल के भीतर भरने है। 24 मार्च 2017 के आदेश के मुताबिक चार हफ़्ते के भीतर पहली किश्त के तौर पर 40 करोड़ रूपए जमा करने थे जो अब तक जमा नहीं कराया गया है। मधुकर कुकड़े ने राष्ट्रभाषा सभा के इस रूख को देखते हुए सभा के ट्रस्टीयों की संपत्ति जप्त कर जुर्माना वसूलने की माँग की है। सिटिज़न फ़ोरम फॉर इक्वालिटी ने मामले को सीधे देश की सर्वोच्च अदालत की अवमानना से जोड़ते हुए तत्काल यह कदम उठाने की माँग नागपुर सुधार प्रन्यास से की।

सिटिजन फोरम फॉर इक्विलिटी ने मुंबई उच्च न्यायलय की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दाखिल कर राष्ट्रभाषा सभा के लिए लीज पर प्राप्त 1.2 हेक्टेयर जमीन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। अदालत ने अपनी सुनवाई में आरोपों को सही पाकर अगस्त 2016 में आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार अदालत ने नागपुर सुधर प्रन्यास को बीते 30 वर्षो की लीज़ की प्रीमियम दर और ब्याज वसूलने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश को राष्ट्रभाषा सभा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन अदालत ने निचली अदालत के फ़ैसले को जारी रखा। हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए एनआइटी ने राष्ट्रभाषा सभा पर 163 करोड़ 75 लाख 63 हजार 688 रुपए की वसूली निकाली थी। सभा को पहली किश्त के तौर पर 32 करोड़ 16 लाख 78 हजार 571 रुपए दो महीनों के भीतर जमा करने को कहा गया था जबकि शेष रकम भरने के लिए एक वर्ष का वक्त दिया गया था।

Gold Rate
24 May 2025
Gold 24 KT 96,300/-
Gold 22 KT 89,600/-
Silver/Kg 98,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

एनआइटी ने महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा को पांच हज़ार रूपए महीनें की दर से 1961 में ज़मीन लीज़ पर दी थी। वर्ष 1991 में लीज़ को फिर बढ़ाया गया। लेकिन वर्ष 2001 में सभा ने जग़ह के इस्तेमाल को बदलने के लिए मुख्यमंत्री को आवेदन दिया। मुख्यमंत्री के आदेश पर वर्ष 2005 में एनआइटी ने इस संबंध में फ़ैसला लिया लेकिन आवेदन से पहले ही लीज की ज़मीन पर बहुमंजली इमारत खड़ी हो चुकी थी और इसमें वोक्हार्ट हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का अत्याधुनिक हॉस्पिटल शुरू भी हो चुका था।

Advertisement
Advertisement
Advertisement