Published On : Thu, Jul 17th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

आरबीआई का बड़ा खुलासा: FY 2024-25 में ₹36,361 करोड़ की 1.79 लाख बैंक धोखाधड़ी मामले सामने आए

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नागपुर: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जानकारी दी है कि वित्त वर्ष 2024–25 में कुल 1,79,269 बैंक धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए हैं, जिनकी कुल राशि ₹36,361.42 करोड़ है। यह खुलासा नागपुर के सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर द्वारा दायर एक सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के जवाब में हुआ है।

इसमें वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों (AIFIs) द्वारा रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी के मामलों की विस्तृत बैंक-वार जानकारी दी गई है।

सबसे ज़्यादा धोखाधड़ी वाले बैंक (मामलों की संख्या के आधार पर):

बैंक का नाम मामलों की संख्या धोखाधड़ी राशि (₹ करोड़)
एक्सिस बैंक लिमिटेड 79,629 986.46
एचडीएफसी बैंक लिमिटेड 39,822 715.96
एयरटेल पेमेंट्स बैंक 19,838 75.26
आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड 13,532 608.94
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 13,835 7,700.44
आरबीएल बैंक लिमिटेड 8,610 68.27

सबसे अधिक धनराशि वाले बैंक (धोखाधड़ी की राशि के आधार पर):

बैंक का नाम धोखाधड़ी राशि (₹ करोड़) मामलों की संख्या
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 7,700.44 13,835
आईडीबीआई बैंक लिमिटेड 6,129.57 430
केनरा बैंक 4,951.69 542
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 3,911.53 280
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) 3,782.97 2,979
इंडियन बैंक 2,114.11 2,171
बैंक ऑफ महाराष्ट्र 942.43 292

अन्य प्रमुख आंकड़े:

  • बैंक ऑफ इंडिया ने केवल 153 मामलों में ₹7,449.36 करोड़ की धोखाधड़ी रिपोर्ट की।
  • यस बैंक: 2,814 मामले | ₹388.02 करोड़
  • कर्नाटक बैंक: 221 मामले | ₹348.94 करोड़
  • फेडरल बैंक: 3,803 मामले | ₹79.75 करोड़
  • जम्मू और कश्मीर बैंक: केवल 35 मामलों में ₹198.17 करोड़

RBI की सफाई:

RBI ने स्पष्ट किया है कि यह आंकड़े “रिपोर्टिंग की तारीख” पर आधारित हैं, न कि धोखाधड़ी की वास्तविक घटना की तारीख पर। इनमें से कई मामले पिछले वर्षों में घटित हुए, लेकिन FY 2024–25 में रिपोर्ट किए गए।

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सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता:

इस खुलासे ने बैंकिंग सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ा दी है, खासकर निजी बैंकों और पेमेंट बैंकों में, जहां धोखाधड़ी के मामले तो अधिक हैं लेकिन राशि अपेक्षाकृत कम रही है।

अभय कोलारकर ने मांग की है:

  • धोखाधड़ी पर सख्त नियंत्रण और निगरानी
  • समय पर ऑडिट
  • और जवाबदेही तय करने की मजबूत प्रणाली विकसित की जाए।

 

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