Published On : Thu, Oct 21st, 2021

जिले के रेट घाट ठेकेदारों को मिला डीलर परमिट

Advertisement

– तहसीलदारों की सिफारिश पर ठेकेदारों को अगले 3 माह में जमा किये गए रेत को बिक्री सह परिवहन करने की अनुमति जिला प्रशासन ने दी लेकिन इस आदेश का दुरूपयोग कर किया जाएगा नदी से अवैध उत्खनन


नागपुर – नागपुर जिले में सफेदपोश रेत माफियाओं के अपना एक रैकेट हैं जो खुद के जेब गर्म करने के लिए हमेशा नियमों को तोड़ मरोड़ रहा।क्योंकि इस पेशे में अधिकांश सत्ताधारी शामिल है इसलिए इनके सामने जिला प्रशासन मौन साधे तमाशा देख रहा। इस क्रम में अब तहसीलदारों की शह पर जिला प्रशासन सह जिला खनन विभाग ने रेत के ठेकेदारों को उनके द्वारा वैध/अवैध रूप से जमा किये गए रेत को बेचने के लिए अनुमति प्राप्त कर ली।सभी को 3-3 माह का अतिरिक्त समयावधि मिलने से सभी की दीपावली जोरदार होने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार डीलर परमिट के नाम अवैध रेत उत्खनन की योजना सफेदपोश रेत माफिया के नेतृत्व में बनाई गई,इसके बाद जिला प्रशासन और जिला खनन विभाग ने संयुक्त रूप से सभी संबंधित तहसीलदारों से डीलर परमिट के नाम रेत के ठेकेदारों द्वारा खेतों आदि में जमा किये गए रेत को बेचने के लिए प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया गया। जिसे तय रणनीति के तहत जिला खनन विभाग और जिला धिकारी कार्यालय ने 3-3 माह की मोहलत देकर मंजूरी प्रदान की।

जिला खनन विभाग के सूत्रों की माने तो रेत के ठेकेदारों के पास रेत का स्टॉक सीमित है,इसके लिए सप्ताह भर का समय काफी होता है। लेकिन 3 माह का समय देकर जिला प्रशासन ने अवैध रेत उत्खनन और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की सीधी अनुमति दे दी है। इस चक्कर में पटवारी से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक कइयों के जेब गर्म हो चुके है।

उधर रेत माफियाओं के कहना है कि जिलाधिकारी कार्यालय उक्त ग़ैरकृत में हमेशा ही सहयोग देता रहा,रही सही कसर सफेदपोश नेता जो अवैध रेत उत्खनन के भरोसे घर संचलन कर रहे,वे संभाल लेते है।

उक्त अवैध उत्खनन में LCB का भी बड़ा सहयोग मिल रहा,इनके ही मार्गदर्शन में अवैध रेत परिवहन करने वाले ट्रांसपोर्टर बेखौफ 24 घंटे प्रति गाड़ी 10 से 15 हज़ार रुपये देकर ओवरलोड/अवैध परिवहन कर रहे।जबकि नए IG ने सख्त खिलाफत की लेकिन LCB की कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा।
उल्लेखनीय यह भी है कि अवैध रेत के परिवहन को कोराडी,कामठी,पारडी,कलमना, बेसा आदि शहरी थानों के भी संरक्षण प्राप्त है।