Published On : Tue, Nov 20th, 2018

अयोध्या मामले में राम,बाबर के साथ बुद्ध भी जुड़े

Advertisement

नागपुर : अयोध्या में राम मंदिर विवाद में राम,बाबर के साथ अब एक और पक्ष बुद्ध का जुड़ गया है। राम मंदिर से जुड़े मामले की सुनवाई भले ही देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में चल रही हो लेकिन सार्वजनिक बहस इन दिनों केंद्रबिंदु में है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ईकाई विश्व हिंदू परिषद द्वारा आगामी 25 नवंबर को राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या,बंगलुरू,और नागपुर में हुँकार रैली का आयोजन किया जा रहा है। इस रैली का मकसद सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए दबाव बनाना है। राम मंदिर निर्माण को लेकर हो रहे प्रयासों के बीच नागपुर केंद्र में है। मंदिर आंदोलन चलाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नागपुर गढ़ है इसलिए 25 तारीख को देश की निगाहें नागपुर पर होगी।

दूसरी तरफ 25 तारीख को ही एक ओर कार्यक्रम नागपुर में होगा जिसको लेकर भी चर्चा जोरों पर होगी। अब तक अयोध्या में विवादित स्थल को लेकर बहस राम मंदिर और मस्जिद को लेकर होती थी लेकिन अब हाल के दिनों में एक और पक्ष उठ खड़ा हुआ है जो जुड़ा है बुद्ध से,बौद्ध धर्म से जुड़े कुछ लोगों की दलील है की विवादित स्थल पर भगवान बुद्ध का मंदिर था। इसी मुद्दे को आधार में रखते हुए नागपुर के ही भैयाजी खेरकर ने हुँकार सभा के ही दिन एक चर्चासत्र का आयोजन किया है।

जिसको नाम दिया गया है ” अयोध्या किसकी राम की बाबर की या बुद्ध की” खेरकर की दलील है की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या में बुद्ध से जुड़े अवशेष मिले है। राम मंदिर मामले की सुनवाई में बौद्ध धर्म लोग भी पक्षकार है। अयोध्या से आने वकील विनय मौर्य ने इस मामले में अपनी दलील सुप्रीम कोर्ट में रखी है जिस पर अदालत से संज्ञान भी लिया। खेरकर के मुताबिक अयोध्या को पहले साकेत नगरी के नाम से जाना जाता था यह नाम बौद्धकालीन समय का नाम है। उनका कहना है इस मामले को लेकर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए इसलिए उन्होंने चर्चा सत्र का आयोजन किया है। जिसमे विनय मौर्य,आगरा के भंते आनंद,डॉ भाऊ लोखंडे,देवीदास घोडेस्वार और वह खुद भाग लेने वाले है।

इस दोनों कार्यक्रमों के आयोजन के बीच इनके आयोजन को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। आरएसएस नाम से ही संस्था चलाने वाले पूर्व नगरसेवक जनार्दन मून ने इन दोनों की कार्यक्रमों पर आपत्ति जताई है। मून की दलील है की ये दोनों कार्यक्रम समाज में विद्वेष फ़ैलाने का काम करेंगे। विहिप के आयोजन में जहाँ हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों के बीच टकराव की स्थिति बनेगी तो खेरकर के कार्यक्रम से बौद्ध धर्म के अनुयायी सीधे जुड़ जायेगे।

इसलिए इन दोनों कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होना चाहिए। विहिप के आयोजन को लेकर मून ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दाखिल की है। जबकि दूसरे कार्यक्रम को लेकर दीक्षा भूमि स्मारक न्यास और सामाजिक कल्याण विभाग को शिकायत की गई थी। मून द्वारा ली गई आपत्ति के बाद भैयाजी खेरकर ने कार्यक्रम स्थल में बदलाव किया है लेकिन उनका कहना है कि यह कार्यक्रम किसी भी हाल में लिया जायेगा।