Published On : Mon, Mar 25th, 2019

पर्चे दाखिल प्रचार की जंग शुरू

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भंडारा: 2019 के लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। आज नाम निर्देशन पत्र दाखिल करने का आखरी और अंतिम दिन है लिहाजा भंडारा निर्वाचन कार्यालय पर विभिन्न दलों के इच्छुक उम्मीदवारों और निर्दलीय प्रत्याक्षियों का भारी हुजुम जुटा है।

भाजपा-शिवसेना गठबंधन प्रत्याक्षी सुनील मेंढे ने हजारों समर्थकों के बीच रैली निकाली, भंडारा के गांधी चौक पर राष्ट्रपिता की प्रतिमा पर उन्होंने माल्यार्पण किया और कलेक्टर ऑफिस पहुंचकर अपना पर्चा दाखिल किया। वहीं बसपा प्रत्याक्षी विजय नांदूरकर ने भी नाम निर्देशन पत्र भरा। वैसे ही कांग्रेस- राकांपा गठबंधन उम्मीदवार नाना पंचबुद्धे ने भी हजारों की संख्या में उमड़े कार्यकर्ताओं के साथ ढोल-ताशों के साथ जुलूस निकाला और उन्होंने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।

इस सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए, युपीए गठबंधन तथा बसपा उम्मीदवार के बीच होगा? इस त्रिकोणीय रोचक मुकाबले पर सबकी निगाहें टिकी है । हालांकि नाम वापसी पश्‍चात महज 12 दिनों का प्रचार के लिए उम्मीदवारों को वक्त मिलेगा।

क्या 2019 में भी नाना मैजिक चलेगा?

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी रथ पर सवार होकर नाना पटोले ने प्रफुल पटेल को ड़ेढ लाख वोटों से शिकस्त देकर यह सीट भाजपा की झोली में डाली थी। बीजेपी से मोहभंग के बाद नाना पटोले ने इस्तिफा देकर कांग्रेस का दामन थामा।

मई 2018 में लोकसभा उपचुनाव के दौरान नाना पटोले और प्रफुल पटेल एक मंच पर आ गए तथा आपसी सहमती से मधुकरराव कुकड़े को उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने भाजपा उम्मीदवार हेमंत पटले को पछाड़ते हुए जीत दर्ज की।

अब सवाल उठता है क्या 2019 के चुनाव में नाना नाम का मैजिक चलेगा ? क्योंकि राष्ट्रवादी कांग्रेस ने जिस उम्मीदवार पर दांव खेला है, उसका नाम भी नाना पंचबुद्धे है। लिहाजा सोशल मीडिया पर नाना मैजिक ट्रेंड कर रहा है।

यहां यह बता देना भी बेहद जरूरी है कि, 2018 के उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने कैंडिटेड नहीं उतारा था जिसका लाभ कांग्रेस-राष्ट्रवादी गठबंधन को मिला और मधुकर कुकड़े चुनाव जीत गए लेकिन 2019 में बसपा और सपा के गठजोड़ ने महाराष्ट्र में एकला चलो रे की नीति अपनाते हुए इस सीट पर महिला प्रत्याक्षी डॉ. विजया नांदूरकर का चयन किया है।

अकेली महिला उम्मीदवार होने का लाभ उन्हें मिल सकता है तथा जिले की आधी महिला मतदाता आबादी का समर्थन भी उन्हें प्राप्त हो सकता है? इस त्रिकोणीय मुकाबले में जितना हाथी आगे बढ़ेगा, उतनी ही घड़ी की रफ्तार सुस्त पड़ेगी।

परिणाम किसके पक्ष में जाते है? यह देखना दिलचस्प होगा। सनद रहे नाना पटोले इस बार नागपुर से नीतिन गड़करी के विरूद्ध भाग्य आजमा रहे है। अलबत्ता 2018 के गोंदिया-भंडारा उपचुनाव के तर्ज पर अब डब्बल इंजिन काम नहीं करेगा। प्रफुल पटेल के समक्ष अकेले ही चुनावी वैतरणी पार करने की चुनौती है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास स्टार प्रचारकों की भी कमी होने तथा जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का टोटा भी उन्हें खलेगा।

अवसर को सफलता में बदलूगां- सुनील मेंढे
भाजपा आलाकमान ने मुझ जैसे सामान्य कार्यकर्ता पर विश्‍वास दिखाया है, मैं उस विश्‍वास पर खरा उतरूंगा तथा पार्टी ने जो मुझे जिम्मेदारी सौंपी है, मैं उस अवसर को सफलता में बदल दूंगा, एैसी प्रतिक्रिया भाजपा प्रत्याक्षी सुनील मेंढे ने व्यक्त करते कहा- मैं अपनी जीत के प्रति आश्‍वस्त हूं तथा गोंदिया-भंडारा का सर्वांगीण विकास हीं मेरी प्राथमिकता रहेगी।

सनद रहें, सुनिल मेंढे यह भंडारा नगर परिषद के मौजुदा नगराध्यक्ष है तथा अधिकृत प्रत्याक्षी की घोषणा का समाचार मिलते ही उनके कार्यकर्ताओं ने जश्‍न मनाया।

विशेष उल्लेखनीय है कि, भाजपा के एक टिकट के लिए 5 दावेदार थे। गोंदिया-भंडारा जिले में कुनबी बावने समाज के मतदाताओं की शाखा सबसे अधिक है इस शाखा से पूर्व विधायक रमेशभाऊ कुथे तालुख रखते है। वहीं टिकिट के दुसरे दावेदार के रूप से पूर्व सांसद डॉ. खुशाल बोपचे का नाम सामने आ रहा था, विधान परिषद सदस्य डॉ. परिणय फूके भी दावेदारों की कतार में अव्वल स्थान पर थे, वैसे ही महिला उम्मीदवार के रूप में अर्चना गहाणे का नाम आगे किया गया था लेकिन पार्टी ने सुनील मेंढे के नाम पर मुहर लगा दी। अब देखना दिलचस्प होगा कि, गोंदिया-भंडारा में कमल खिलता है या फिर घड़ी की टिक-टिक चलेगी?

महज 1111 वोटों से जीता था, नाना पंचबुद्धे ने विधानसभा चुनाव
भंडारा जिले के अर्जुनी गांव के निवासी नाना पंचबुद्धे ने अपने राजनीतिक केरियर की शुरूवात इस क्षेत्र से जिला परिषद चुनाव लड़कर की तथा विजयश्री पश्‍चात वे जि.प. उपाध्यक्ष बने। 2004 में कांग्रेस-राष्ट्रवादी ने गठबंधन उम्मीदवार बनाकर घड़ी चुनाव चिन्ह से भंडारा विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा, उन्हें 43 हजार 269 मत हासिल हुए तथा उनके प्रतिद्विंदी भाजपा प्रत्याक्षी राम आसवले इन्हें 42158 वोट प्राप्त हुए तथा बसपा के हाथी चुनाव चिन्ह पर इस सीट से चुनाव लड़ रहे राजु कारेमोरे को 40 हजार वोट मिले। इस त्रिकोणीय मुकाबले में महज 1111 वोटों से नाना पंचबुद्धे चुनाव जीते।
प्रफुल पटेल का विश्‍वासपात्र होने का लाभ उन्हें मिला तथा सरकार का कार्यकाल खत्म होते-होते वे 6 माह के लिए शिक्षा राज्यमंत्री बनाये गए। वर्तमान में वे भंडारा राकांपा जिलाध्यक्ष है।

चूंकि सभी प्रमुख राजनीतिक दल जाति समीकरणों के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन करते है। नाना पंचबुद्धे के विषय में बताया जाता है कि, वे कुनबी समाज में आते है, इस जाति के वोटरों की संख्या यहां 25 प्रतिशत है। भाजपा के सुनील मेंढे भी कुनबी समाज से है वहीं बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याक्षी डॉ. विजया नांदूरकर इन्हें ओबीसी कोटे से उम्मीदवार बनाया गया है।

क्योंकि तीनों ही दलों के उम्मीदवार भंडारा जिले से है लिहाजा 2004 की स्थिती भंडारा में भी बन सकती है, हाथी भी बराबर की टक्कर देगा?

बसपा उम्मीदवार डॉ. विजया नांदूरकर का अल्प परिचय
बीएचएमएस की 2005 में वैद्यकीय डिग्री लेकर डॉ. विजया नांदुरकर यह समाजसेवा के क्षेत्र में उतरी। भंडारा जिले की पवनी निवासी डॉ. विजया राजेश नांदुरकर ने 2016 में पवनी नगर परिषद के लिए नगराध्यक्ष पद का चुनाव बसपा की टिकट पर लड़ा तथा विरोधी दल के उम्मीदवार को उन्होंने कड़ी टक्कर दी और चुनाव परिणाम घोषित होने पर वे मामूली अंतर से चुनाव हारी और दूसरे नंबर पर रही। वे बहुजन समाज पार्टी की कॅडर कार्यकर्ता है तथा फुले, शाहु, डॉ. आंबेडकर, तुकाराम और तुकड़ोजी महाराज इनके विचारों पर चलने की जनता को नसीहत देती है और एक ओजस्वी वक्ता होने की वजह से उनकी माइक पर अच्छी पकड़ है और अपनी भाषण शैली से वे मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।

सनद रहें यहीं आक्रमक भाषण शैली 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार अजाबराव शास्त्री ने दिखायी थी। उन्होंने 91 हजार वोट हासिल किए थे तथा प्रफुल पटेल को इस चुनाव में 3009 वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा और कमजोर समझे जाने वाले भाजपा प्रत्याक्षी शिशुपाल पटले विजयी हुए है। उस हार की टीस आज भी प्रफुल पटेल भुला नहीं पाए है।

बहरहाल बसपा के मैदान में आ जाने से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला तय है। 28 मार्च को नाम निर्देशन वापसी की आखरी तारिख है जिसके बाद रणभूमि में डटे उम्मीदवारों की तस्वीर साफ होगी? कितन वोट कटुवा उम्मीदवार चुनावी समर में डटे है तथा उनकी हैसियत के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि, इस सीट पर चुनाव परिणाम किस दल के पक्ष में जा सकते है?

– रवि आर्य