Published On : Mon, Jun 26th, 2017

बिगड़ रही है पॉवर कंपनियों की हालत !- बिक्री के लिए कतारबद्ध है कई कम्पनिया

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नागपुर/रायपुर: एक समय ऐसा भी था जब देश के कई राज्यों में बिजली का संकट बना रहता था. लेकिन पिछले एक दशक के दौरान बिजली उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिए जाने के साथ साथ वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का दोहन शुरू होने से देश में अब बिजली उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है. और तो और मांग की तुलना में आपूर्ति अधिक हो रही है. केंद्रीय बिजली प्राधिकरण ने वर्ष 2022 तक बिजली की मांग का अनुमान घटाकर 235 गीगावॉट कर दिया, जबकि पहले 289 गीगावॉट की मांग का अनुमान लगाया था. मांग घटाने से बिजली क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है और बिजली क्षेत्र की मुश्किलें बढ़ रही है. और उनके राजस्व में सालाना 13% की कमी आई है, और शुद्ध मुनाफे में भी पिछले वर्ष के मुकाबले में भी 7% की गिरावट देखि गई है.

सूत्रों के अनुसार इस समय देश में करीब 25000 मेगावॉट ताप बिजली संयंत्र बिक्री के लिए कतार में खड़े है. ये संयंत्र लैंको, केएसके, जेपी, जिंदल, इंडियाबुल, जीएमआर, एथेना सहित अन्य कंपनियों के है. ये सभी पावर प्लांट चालू हो चुकें है या फिर तैयार हो रहें है. कंपनी से संबंधितों का कहना है कि उक्त कंपनी अपने बहीखाते हलके करने के लिए इन परियोजनाओं से किनारा करना चाह रही है. लेकिन विडंबना यह है कि उक्त संयत्रों के खरीददार नहीं मिल रहे है.

बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार फंसी परिसम्पत्तियों की तादाद बढ़ रही है. औद्योगिक गतिविधियाँ कम हो गई है. और राज्य बिजली बोर्डो की वित्तीय हालत भी दयनीय हो गई है. एनटीपीसी व अन्य इकाइयां मौजूदा मांग को पूरी कर रही है. स्वतंत्र बिजली परियोजनाओं पर भी इन बातों का नकारात्मक परिणाम हुआ है.

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