Published On : Tue, Aug 9th, 2016

नितिन गडकरी के घर ठिय्या आंदोलन करने जा रहे विदर्भवादियों को पुलिस ने रोका

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विदर्भवादियों ने गडकरी को बताया रणछोड़, 1 दिसंबर से हिंसक आंदोलन की दी चेतावनी

March at Gadkari Wada for seprate Vidarbha (7)
नागपुर:
अलग विदर्भ राज्य की मांग को लेकर मंगलवार को विदर्भवादियों द्वारा निकाला गया मोर्चा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के घर तक नहीं पहुँच पाया। महल के तिलक चौक से निकले इस मोर्चे को गडकरी वाड़े के ठीक पहले टॉउन हॉल के पास पुलिस ने रोक दिया। पुलिस की इस कार्यवाही पर विदर्भवादियों में काफी रोष दिखा। हालांकि जिस जगह मोर्चे को रोका गया। प्रदर्शनकारी वही बैठ गए और आंदोलन जारी रखा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की इस कार्यवाही और पहले से सूचना देने के बाद भी न मिलने वाले नितिन गडकरी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। मंगलवार दोपहर 2:00 बजे शुरू हुआ यह मोर्चा 2:15 बजे टॉउन हॉल पॉइंट पर पंहुचा। यहा काफी देर तक प्रदर्शन जारी रहा जिसके बाद नितिन गडकरी के निजी सहायक सुधीर देऊलगांवकर ने प्रदर्शनकारियों का निवेदन स्वीकार किया जिसके बाद यह आंदोलन समाप्त हुआ। आज के आंदोलन में विदर्भवादियों ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा और विदर्भ के मुद्दे पर विदर्भ की जनता के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया।

1 दिसंबर से हिंसक आंदोलन की चेतावनी
विदर्भवादी और पूर्व विधायक वामनराव चटप के मुताबिक फ़िलहाल विदर्भ की मांग शांत और अहिंसक तरीके से की जा रही है। पर अगर सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया तो यह आंदोलन हिंसक भी हो सकता है। 1 दिसंबर से विदर्भवादी : देते हो या जाते हो, या जनता के जूते खाते हो : इस नारे के साथ आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे। सरकार के पास पूर्ण बहुमत है, संविधान में प्रावधान है। एक झटके में विदर्भ को उसका हक़ दिया जा सकता है। फिर भी भाजपा टालमटोल कर रही है।

March at Gadkari Wada for seprate Vidarbha
भाजपा, देवेंद्र फडणवीस, नितिन गडकरी के खिलाफ मुर्दाबाद के लगे नारे

विदर्भवादी लगातार विदर्भ राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन करते रहते है। इन प्रदर्शनों में अब तक शिवसेना, कांग्रेस, राष्ट्रवादी पार्टी के नेता निशाने पर होते थे। पर आज पहला मौका था जब प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री, देवेंद्र फडणवीस सहित केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। विदर्भवादी विधानमंडल में मुख्यमंत्री द्वारा संयुक्त महाराष्ट्र के संबंध में किये गए विधान पर भी नाराजगी जताई।

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नितिन गडकरी रणछोड़

आज के आंदोलन की जानकारी की सूचना 15 दिन देने के बाद भी नितिन गडकरी आंदोलनकारियों से नहीं मिले और ना ही निवेदन सौंपा। गडकरी की आंदोलनकारियों के प्रति इस रुख पर वामनराव चटप ने उन्हें रणछोड़ यानि मैदान छोड़कर भागने वाले व्यक्ति की उपाधी दी। आंदोलनकारियों के मुताबिक इस आंदोलन से कई तरह के संदेश गड़करी को देना था। जिसमे वो कामियाब हुए। गड़करी हमेशा कहते है कि विदर्भ के आंदोलन में चार लोग भी नहीं आते आज हजारो की संख्या में लोग उन्हें यह दिखने आये थे कि इस आंदोलन के साथ भारी जनसमर्थन है। जिस जनता ने आप को सत्ता में बैठाया है। वादा न पूरा होने पर वही आप को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगी।

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भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप, मनपा चुनाव में सबक सीखाने की दी धमकी

आज के प्रदर्शन में विदर्भवादी संगठनो ने भारतीय जनता पार्टी और उनके नेताओं को आड़े हांथो लिया। विदर्भवादियों के मुताबिक अलग विदर्भ का नारा बुलंद करने वाले मुख्यमंत्री और लोकसभा चुनाव के दौरान लिखित आश्वाशन देने वाले नितिन गडकरी सत्ता के नशे में चूर हो चुके है। जिस मुद्दे को आधार बनाकर उन्होंने विदर्भ में ऐतिहासिक कामियाबी पाई अब उसी से मुँह फेर रहे है। पर विदर्भ की जनता इन्हें सबक सिखाएगी। आगामी मनपा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ करने का काम विदर्भ और नागपुर की जनता करेगी। मुख्यमंत्री अब खुद को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बताकर अपनी विवशता दर्शा रहे है। अगर ऐसा ही था तो उन्होंने मुख्यमंत्री का पद स्वीकार ही क्यूँ किया।

विदर्भवादियों का यह पहला आंदोलन नहीं है। जब वह शहर के किसी बड़े नेता से विदर्भ की माँग कर रहे लोगो का निवेदन न लिया हो। इससे पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से घर पर ठिय्या आंदोलन करने का प्रयास करने वाले लोगो से विदर्भवादी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी नहीं मिले थे। उस आंदोलन के दौरान तो बाकायदा प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आज के आंदोलन का हश्र भी कुछ ऐसा ही हुआ। गडकरी खुद भले प्रदर्शनकारियों से न मिले हो पर उनके द्वारा भेजे गये दूत ने निवेदन स्वीकार किया।

इस प्रदर्शन में विदर्भ राज्य आंदोलन समिति, विदर्भ राज्य आघाडी, शेतकरी संगठन, वी कनेक्ट, जनमंच जैसे कई संगठनों ने हिस्सा लिया। इस दौरान वामनराव चटप, राम नेवले, धनंजय धार्मिक, प्रवीर कुमार चक्रवर्ती, उमेश चौबे, श्रीनिवास खान्देवाले, नंदा पराते, शरद पाटिल, अनिल किल्लोर के साथ कई विदर्भवादी नेता और हजारो की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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छायाचित्र : शुभम कांबले