नागपुर: वर्ष २०१७-१८ का वार्षिक बजट अप्रैल माह के अंत में प्रस्तुत करने हेतु स्थाई समिति अध्यक्ष संदीप जाधव प्रयासरत है. ताकि मई माह से प्रस्तुत बजट को अमल में लाया जा सके.
नियमानुसार मनपा का वार्षिक-आर्थिक बजट प्रत्येक वर्ष ३१ मार्च के पहले पेश किया जाना चाहिए,जो कि १ अप्रैल से लागु होने से आय-व्यय के लिए पूरा-पूरा के वर्ष स्थाई समिति को मिल जाता है। लेकिन पिछले एक दशक में इक्के-दुक्के बार ही समय पर बजट पेश किया गया.और तो और एक भी बार प्रस्तुत बजट में दर्शाये गए आय को प्राप्त नहीं कर पाए. इसलिए हर वर्ष के अंत में मनपायुक्त समिति अध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत बजट में कटौती कर ‘रिवाइस बजट’ पेश करते रहे है.
पिछले आर्थिक वर्ष २०१६-१७ मनपा आर्थिक संकटों से जूझता रहा,कर्मियों के वेतन सह ठेकदारों को भुगतान के लिए आंदोलन तक हुए.
इसके बावजूद निजीकरण के नाम पर उद्देश्यपूर्ति के बिना भुगतान जारी रहा. व्यक्तिगत इच्छापूर्ति हेतु गैर जरुरत कार्यो पर खर्च जारी रहा. एक ओर पेट्रोल अलाउंस तो दूसरी ओर टैक्सी सेवा पर अंधाधुन खर्च का सिलसिला जारी है. गैर जरुरत कर्मियों को भी टैक्सी सुविधा देकर मनपा खजाने पर भोज मढ़ा जाना प्रशासन की आदत में सुमार है. अभी भी निरंतर जारी है, कारण यह दर्शाई जा रही है कि सम्बंधित ‘मद’ में निधि शेष है.
हद्द तो तब हो गई पिछले वर्ष सरकार ने विशेष निधि के तौर पर शहर के विधायकों को १५-१५ करोड़ रूपए की निधि दी, इस निधि में से ऐसे-ऐसे प्रस्ताव बनाकर मंजूर करवाए गए (२-३ आधा-आधा किलोमीटर के मार्ग करोड़ों में बनाये जायेंगे), जिनसे साफ़ हो जाएगा कि दाल में काला है.
आगामी वर्ष २०१७-१८ का बजट भी केंद्र और राज्य सरकार के अनुदान पर पूर्णतः आश्रित रहेगा।अभी तक पिछले आर्थिक वर्ष का अनुदान पूरा नहीं मिल पाया है,जबकि मुख्यमंत्री स्थानीय है.साथ ही साथ केंद्र,राज्य व मनपा में एक ही पक्ष की सत्ता है.
उल्लेखनीय यह है कि आघाडी सरकार के वक़्त मनपा के तत्कालीन मनपायुक्त से राज्य सरकार ने राय मांगी थी कि चुंगी चाहिए या एलबीटी. ऐसा सवाल मुंबई मनपायुक्त से भी की गई थी, तब उन्होंने चुंगी को प्राथमिकता दी थी और आज भी बिना सरकारी अनुदान के राह तके बिना मुंबई मनपा खुद के आय स्रोत चुंगी के भरोसे मनपा का संचलन सफलतापूर्वक कर रही है,वही तत्कालीन मनपायुक्त ने खुद की पदोन्नति हेतु वाहवाही लूटने के चक्कर में सरकार के सुझाव पर एलबीटी की स्वीकार कर मनपा, नागपुर को आर्थिक अड़चन में ला दी. तब से आजतक मनपा आर्थिक अड़चन से बुरी तरह जूझ रहा है.ऐसी परिस्थिति में मनपा की स्वायत्ता खतरे में पड़ गई, यह कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी.
मनपा बजट को लेकर बजट निर्माण स्थल ‘वाडा’ पर एक-दो बैठकें हो चुकी है.जल्द ही मनपा आयुक्त व स्थाई समिति अध्यक्ष की इस सन्दर्भ में बैठक होने वाली है.समिति अध्यक्ष भी बजट को उत्कृष्ट पेश करने के उद्देश्य से सुझाव आमंत्रित किये है.
‘जीएसटी’ से सुधरेंगी परिस्थिति
अगस्त-सितम्बर २०१७ के आसपास मनपा,नागपुर को केंद्र सरकार से सीधे मनपा कहते में ‘जीएसटी’ का हिस्सा मिलना शुरू हो सकता है. संभवतः अगस्त-सितम्बर से मनपा को १०० करोड़ के आसपास प्रत्येक माह ‘जीएसटी’ का हिस्सा मिलेगा. अगर यह अनुदान प्रत्येक मई तय समय पर अबाधित मिलता रहा तो फिर मनपा उन्नत हो जाएंगी.