Published On : Mon, Dec 20th, 2021

वृद्धों की पेंशन में हो वृद्धि, हाई कोर्ट ने याचिका में सुधार करने की दी स्वतंत्रता

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नागपुर. वर्तमान में निराश्रितों और वृद्धों को दी जा रही पेंशन काफी अल्प होने तथा महंगाई के दौर में इतनी कम निधि में जीवनयापन करना मुमकिन नहीं होने का हवाला देते हुए कम से कम 5,000 रु. प्रति माह पेंशन करने के आदेश देने का अनुरोध कर हेरंभ कुलकर्णी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने याचिका में सुधार करने तथा कुछ दस्तावेज पेश करने की स्वतंत्रता प्रदान कर 5 जनवरी तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.

याचिकाकर्ता की ओर से अधि. असीम सरोदे और सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील केतकी जोशी ने पैरवी की. याचिकाकर्ता ने याचिका में बताया कि वर्तमान में राज्य सरकार की ओर से निराश्रितों और वृद्ध लोगों को प्रति माह 1,000 रु. की वित्तीय सहायता दी जाती है. इसके अनुसार केवल 33 रु. प्रतिदिन का गुजारा भत्ता हो रहा है. वर्ष 2020 में महंगाई दर 6.2 रही थी, जबकि इसके बढ़ने की संभावना है. ऐसे में पेंशन में भी वृद्धि होनी चाहिए.

बजट में केंद्र सरकार करे 15 प्रश वृद्धि का प्रावधान
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि देश के सीनियर सिटीजन को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने ओल्ड एज पेंशन स्कीम जारी की थी. केंद्रीय सामाजिक न्याय विभाग ने 11 जनवरी 1999 को नेशनल काउंसिल फॉर ओल्डर पर्सन का गठन किया था जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्यों भी शामिल किया गया था. केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री की अध्यक्षता में 13 जून 2000 को इस काउंसिल की पहली बैठक हुई थी. आयोग के सह सचिव ने भी बैठक में हिस्सा लिया था. वृद्ध लोगों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने, केंद्र की हिस्सेदारी बढ़ाने के उद्देश्य से बजट में अतिरिक्त 15 प्रतिशत वृद्धि का प्रावधान करने के आदेश केंद्र सरकार को देने का अनुरोध याचिकाकर्ता ने किया.

पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की भी सिफारिश
याचिकाकर्ता ने कहा कि ग्रामीण विकास को लेकर पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने 9 मार्च 2021 को लोकसभा में एक रिपोर्ट पेश की जिसमें वृद्धों को दी जा रही अल्प पेंशन में वृद्धि करने की सिफारिश केंद्र सरकार से की गई है. यहां तक कि गत 2 वर्षों से निधि बढ़ाने के लिए दिए गए सुझावों पर कुछ भी नहीं होने को लेकर नाराजगी भी जताई गई है. याचिकाकर्ता का मानना था कि संविधान के अनुसार जनहित का रुख अपनाया गया है. देश की जनता को अच्छे जीवनयापन की सेवा-सुविधाएं मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है जिससे योजना पर अमल करने के केंद्र और राज्य सरकार को आदेश देने का अनुरोध भी याचिका में किया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.