Representational Pic
नागपुर/अकोला: कहते है शौक बड़ी चीज़ है, इसे पूरा करने के लिए लोग न जाने क्या क्या करते है। पर अपने शौक को पूरा करने के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल किया जाये तो इसे क्या कहाँ जायेगा। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है चंद्रपुर जिले के चुनाला ग्रामपंचायत कार्यालय में, कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा खाएं गए खर्रे का सरकारी पैसे से भुगतान किये जाने का खुलासा हुआ है।
विदर्भ के इलाक़े में खर्रा मुखशुद्धि के लिए प्रसिद्ध है, तंबाखू, सुपारी और चुने का मिश्रण कर तैयार किया जाने वाला खर्रा लाखों लोगों की तलब को शांत करता है। वैसे तो राज्य में तंबाखू की बिक्री पर रोक है बावजूद इसके विदर्भ में कहीं भी खर्रा आसानी से उपलब्ध है। चुनाला ग्रामपंचायत के बाहर प्रभाकर सालवे का पानठेले और चाय की दुकान है कार्यालय के कर्मचारियों को सरकारी खर्चे से चाय पिलाने का काम प्रभाकर ही करते है। बाकायदा उन्हें महीने के बीत जाने के बाद कार्यालय से भुगतान भी होता है। उधारी पर होने वाले इस काम का हर महीने का बिल जमा कराया जाता है और वाउचर जारी कर उसका पेमेंट किया जाता है।
ग्रामपंचायत के खर्चे से संबंधित फ़रवरी 2017 का वाउचर सार्वजनिक होने के बाद इस बात का खुलासा हुआ की चाय के बिल के साथ कर्मचारियों द्वारा खाये गए खर्रे का बिल भी चुकाया गया। 5 हजार 2030 रूपए के वाउचर में 1230 रूपए का खर्चा खर्रे पर किया गया और इसके बिल भुगतान चेक के द्वारा किया गया। चेक द्वारा किया गया भुगतान कार्यालय के कर्मचारियों के लिए गले की फांस बन गया और सरकारी पैसे के दुरूपयोग का पर्दाफ़ाश हो गया। ख़ास है की कार्यालय के खर्च के वाउचर में सरपंच के हस्ताक्षर जरुरी होते है जो नहीं है। ग्रामपंचायत सदस्यों को भी अब तक इस बात की कोई जानकारी नहीं थी। मीडिया से बातचीत में पानठेले चालक ने कबूल किया है ही वह हर महीने उधारी में कर्मचारियों को खर्रा देता है और उसका कार्यालय से भुगतान भी किया जाता है।