नागपुर: नागपुर के औद्योगिक क्षेत्र मिहान में बाजारमूल्य से कम दाम में ज़मीन हासिल करने वाले बाबा रामदेव के उद्योग समूह पतंजलि ने इसी वर्ष अक्टूबर महीने से अपना प्रोडक्शन शुरू करने का वादा मिहान प्रशासन से किया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी की पहल पर बाबा रामदेव के उद्योग समूह ने नागपुर में अपना बड़ा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने का फ़ैसला लिया। 10 सितंबर 2016 को पतंजलि को ज़मीन देने का फ़ैसला लिया गया। और पिछले वर्ष मई में आचार्य बालकृष्ण की उपस्थिति में रकय सरकार ने करारनामे के तहत ज़मीन पतंजलि को सौपी थी।
रामदेव को बजारमूल्य से कम दाम में ज़मीन देने के मुद्दे को कांग्रेस ने बढ़चढ़ कर उठाया था। पूर्व सांसद विलास मुत्तेमवार ने राज्य सरकार द्वारा किसी व्यावसयिक संस्थान को दिए गए फ़ायदे पर आपत्ति दर्ज कराते हुए सीबीआई जाँच की माँग की थी। इस ज़मीन सौदे को लेकर विरोधो के बीच राज्य सरकार की अपनी दलील थी। ज़मीन के गैर विकसित होने की वजह से इसे सस्ते में दिए जाने की जानकारी देते हुए सरकार ने अपनी तरफ से स्पष्टीकरण दिया था।
पतंजलि की तरफ से दावा किया गया है की नागपुर में उसके सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का फ़ायदा विदर्भ को होगा। 1 हजार करोड़ के निवेश की इस ईकाई से इससे न केवल स्थानीय लोगो के लिए रोज़गार से 10 हजार अवसर पैदा होंगे बल्कि स्थानीय किसानों से बजारमूल्य के हिसाब से उत्पादित माल ख़रीदा जाएगा जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। पतंजलि के दावे के अनुसार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 50 हज़ार रोजगार से अवसर उपलब्ध कराये जाने का काम इस ईकाई के माध्यम से होगा। मिहान में अपनी ईकाई की वजह से पतंजलि कंपनी ने कई किसानों से करार किया है जो पतंजलि की आवश्यकता के अनुरूप फसलों का उत्पादन करेंगे। सबसे ज़्यादा ध्यान नागपुर की ख़ास पहचान रखने वाले संतरो और एलोविरा की खेती पर होगा।
मिहान सूत्रों के मुताबिक क़रार के मुताबिक 18 महीने के भीतर कंपनी को प्रोडक्शन शुरू करने की बाध्यता है। यह प्रोजेक्ट अहम है इसलिए अधिकारी ख़ुद इस पर संजीदगी से संज्ञान ले रहे है। पतंजलि द्वारा आश्वस्त किया गया है की अगस्त 2018 से हर हालत में प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। पतंजलि को मिहान में 230 एकड़ ज़मीन 25 लाख रूपए एकड़ के हिसाब से दी गई है जबकि इसका बजारमूल्य करीब 60 लाख रूपए एकड़ है।
