नागपुर : संसद की ही तरह राज्य की विधानसभा में नोटबंदी का मुद्दा गरमाया। शीतसत्र अधिवेशन के पहले दिन विपक्ष ने नोटबंदी के बाद जमा हुए काले धन का इस्तेमाल किसानों के लिए किये जाने की माँग की। विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने नोट बंदी के फैसले की वजह से किसानों पर अनुकूल असर होने का मुद्दा उठाया। मुंडे ने नियम 289 के तहत स्थगन प्रस्ताव देकर नोटबंदी पर चर्चा की माँग की। विपक्ष की माँग थी की सदन की कार्यवाही में सबसे पहले चर्चा की जाये पर सभापति से आज चर्चा से इनकार कर दिया। इस मुद्दे पर चर्चा की माँग करते हुए नेता प्रतिपक्ष से जो मुद्दे रखे उसमे उन्होंने कहाँ की इस फैसले पर वह सवाल नहीं उठा रहे है लेकिन इस फैसले की वजह से किसानों पर बड़ा असर पड़ा है। इस एक फैसले की वजह से किसानों की फसल के दाम 50 फीसदी तक कम हो गए है। उन्होंने कहाँ इस फैसले के बाद से 70 लोग अपनी जान गवां चुके है। काम धाम छोड़कर देश के 120 करोड़ लोग कतार में खड़े है। इस फैसले का कालाधन रखने वालो पर किसी भी तरह का असर नहीं हुआ है जबकि सिर्फ आम आदमी पिस रहा रहा है।
राणे की टिपण्णी पर आक्रामक हुए वित्तमंत्री
नोटबंदी पर विपक्ष की चर्चा की माँग के समर्थन में बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री राणे ने सरकार पर हमला बोला। राणे के मुताबिक अचानक लिए गए इस फैसले ने सबको परेशानी में डाल दिया है। अब क्या किसानों को भी वित्तीय व्यवहार के लिए कार्ड दिए जायेगे। नेता प्रतिपक्ष की माँग का समर्थन करते हुए राणे ने भी चर्चा की माँग की। इस माँग पर सत्ता पक्ष ने आपत्ति उठाई। चर्चा की माँग करते हुए राणे के भाषण पर वित्त मंत्री ने आपत्ति उठाई जिसके बाद सदन का माहौल गरमा गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने संसदीय कार्यवाही के नियम का हवाला देते हुए अपनी बात रखी। सभापति की अध्यक्षता के बाद माहौल शांत हुआ। सभापति रामराजे निम्बालकर ने विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव को ख़ारिज कर सदन के अन्य कामकाज को निपटाया। सरकार ने सब्सिडरी बजट में कामकाम के पहले ही दिन पटल पर रखा।