Nagpur: महाराष्ट्र विधानसभा सोमवार को एक ऐतिहासिक घटना की गवाह बनी। किसानों को नुकसान की भरपाई देने से संबंधित सवाल का जवाब नहीं मिलने से नाराज विपक्ष अपने नेता राधाकृष्णा विखे पाटील के नेतृत्व में सदन में ही धरने पर बैठ गया। रात 12 बजे विधानसभा की कार्यवाही खत्म होने के बाद भी विपक्षी विधायकों ने बाहर जाने से मना कर दिया।
आखिरकार रात डेढ़ बजे मुख्यमंत्री को सोते से जगाया गया। मुख्यमंत्री ने विखेपाटील से फोन पर बात कर आश्वासन दिया कि मंगलवार को सदन में वह इस बारे में अपनी बात रखेंगे। तब जाकर विपक्ष ने धरना खत्म किया। मंगलवार की सुबह मुख्यमंत्री ने सदन में बयान दिया, लेकिन नेता विपक्ष जवाब भी संतुष्ट नहीं हुए।
क्या है मामला
इस संबंध में विधानसभा के नेता विपक्ष ने बताया कि पिछले साल नागपुर सत्र में पूर्व कृषिमंत्री दिवंगत पांडुरंग फुंडकर ने कपास, धान व अन्य फसलों को हुए नुकसान की भरपाई किसानों को देने की घोषणा की थी। विपक्ष सरकार से जानना चाहता था कि अब तक कितने किसानों को नुकसान की भरपाई दी गई है।
मंत्री का जवाब संतोषजनक नहीं
विपक्ष के इस सवाल का जवाब कृषि राज्यमंत्री सदाभाऊ खोत ने दिया, लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं हुआ। विस्तार से जवाब नहीं दे पाने पर विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े ने खोत को फटकार भी लगाई। अध्यक्ष ने सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही खत्म होने से पहले विस्तार से जानकारी देने का निर्देश भी दिया।
इस बीच विखेपाटील ने कई बार जवाब मांगा पर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। रात 12 बजे तक विधानसभा की कार्यवाही चली, लेकिन सरकार की तरफ से विपक्ष के सवालों का संतोषजनक उत्तर नहीं आया। इससे नाराज होकर विपक्षी विधायकों ने फैसला लिया कि जबतक उनके सवालों का जवाब नहीं मिलेगा, वे सदन से बाहर नहीं निकलेंगे।
देर तक चली मान-मनौव्वल
विधानसभा में अचानक धरने पर बैठे विपक्ष के साथ देर रात तक मान-मनौव्वल चलती रही। विपक्ष को मनाने के लिए संसदीय कार्यमंत्री गिरिश बापट और भाजपा के सचेतक राज के पुरोहित वापस सदन में आए, लेकिन विपक्ष टस से मस नहीं हुआ। आखिर पुरोहित ने मुख्यमंत्री को फोन किया। बताया जाता है कि चूंकि मुख्यमंत्री दिल्ली से लौटे थे, सो वे जल्दी सो गए थे।
उन्हें जगाया गया, पूरी जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री ने उसी वक्त विखेपाटील से फोन पर बात कर धरना खत्म करने की गुजारिश की। उन्होंने विपक्ष को आश्वासन दिया कि मंगलवार को सदन में पूरी जानकारी देंगे। रात डेढ़ बजे के बाद विपक्षी विधायकों ने धरना खत्म किया और सदन से बाहर निकले।
मुख्यमंत्री का जवाब
मंगलवार की सुबह विधानसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि कपास में लगने वाले रोग सफेद इल्ली (बोंडअली) और धन में लगने वाले कीड़े (तुडतुडा रोग) से 44 लाख किसानों की फसलें नष्ट हुईं, उनमें से 38 लाख किसानों के खाते में सीधे रकम जमा करा दी गई है। औसतन 12 हजार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से यह रकम दी गई है। बचे हुए किसानों को भी जल्दी ही पैसे दे दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली कंपनियों के संदर्भ में पूरी कार्रवाई करने में समय लगता है। करीब 14 लाख किसानों के आवेदन मिले जिसमें 8 लाख 8 हजार आवेदनों की जांच प्रक्रिया जारी है। कानून के अनुसार केवल 70 लोगों को अधिकृत किया गया था, इसमें बदलाव कर 1700 लोगों को नियुक्त किया गया है। मौके पर जाकर मुआयना किया गया है और 1 लाख 55 हजार आवेदनों पर निर्णय लेकर उन्हें 96 लाख 30 लाख रुपये की मदद दी गई। औसतन 8 से 15 हजार प्रति हेक्टेयर नुकसान भरपाई दी गई। बची प्रक्रिया को एक माह में पूरा किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय आपदा निवारण निधि (एनडीआरएफ) की राह न देखते हुए आपदा निवारण निधि (एसडीआरएफ) से 1 हजार 9 लाख करोड़ रुपये की मदद दी गई। इसमें 13 हजार 500 प्रति हेक्टेयर की रकम वितरित की गई। जिला अधिकारियों की मांग पर अभी भी मदद की जा रही है। मुख्यमंत्री से उत्तर के बाद विपक्ष कई और सवाल पूछना चाहता था, लेकिन अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी।