विदर्भ पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है की ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों के मन में बढ़ रही अमीरी –
गराबी  की खाई कॅरोना महामारी में सेहत के आलावा आम आदमी इस समय सबसे ज्यादा फिक्रमंद है तो वह अपने बच्चो के भविष्य को लेकर चार महीने से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। अभिभावकों को जब तक अपने बच्चो की सुरक्षा का यकीन  नहीं हो जाता ,तब तक वह आसानी से उन्हें स्कूल भेजने का जोखिम नहीं लेंगे। ऐसे में ऑनलाइन पढाई एकमात्र विकल्प के तौर पर आजमाई जा रही है ,लेकिन जिस तरह से इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे है ,उससे भविष्य में सामाजिक संकट का भी खतरा है। यह खतरा केवल बच्चो के छोटी उम्र मे उनकी आखो पर पड़ने वाले असर का ही नहीं है। 
एक खतरा अभिभावको और बच्चो में सामाजिक व् आर्थिक हीनता पैदा होने का भी बढ़ गया है। देश के अनेक भागो से खबरे आ रही है की ऑनलाइन पढाई के लिए अभिभावक अपने बच्चो को सस्ते से सस्ता स्मॉर्ट फ़ोन भी नहीं दिला पा रहे है। देश में केवल ४० % के पास फिचर फोन है ग्रामीण इलाके में ९०% के पास फिचर फ़ोन नहीं है। ऐसे में ग्रामीण इलाके के बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करेंगे यह एक बड़ा प्रशन है।
ग्रामीण इलाके में न ही अभिभावक उतने पड़े लिखे है के फिचर फ़ोन को अच्छे से चला सके और बच्चों के साथ बैठ कर उन्हे दिशानिर्देश दे सके ऊपर से डेटा और कनेक्टिविटी की परेशानी अलग है। ऐसे अभिभावकों की संख्या भी बहुत ज्यादा है ,जो एक से ज्यादा बच्चो के लिए इंतजाम करने में समक्ष नहीं है।
घर में एक ही स्मार्टफोन है। जो बच्चो में अमीरी -गरीबी की खाई को और ज्यादा गहरा कर रहे है। शिक्षा पर सबका अधिकार होता है ,लेकिन बदली
व्यवस्था में इस अधिकार को पाना मोबाईल ने दुष्कर कर दिया है। उन बच्चो के मानसिक विकास पर कितना असर पड सकता है ,जिनके मन में मोबाईल न होने की कसक है।
 श्री अग्रवाल ने कहा की हिंदुस्तान ग्रामीण में बसता है आज भी ७६% आबादी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भर है जहा उन्हें दो वक्त की रोटी जुगाड़ना
कठिन है वहा कैसे वे अपने बच्चो को ऑनलाइन शिक्षण हेतु संसाधन उपलबद्ध करा पायगे। ऑनलाइन शिक्षा के कारन  बच्चो में अमीरी और गरीबी की भावना उत्पन हो रही है और बिना संसाधन वाले बच्चो में अनंत जटिल भावना का निर्माण हो रहा है जो देश के लिए घातक है ,बेहतर होता की सरकार पहले देश के सभी बच्चो को संसाधन उपलब्ध करके देती उसके बाद इस प्रकार की योजना चालू करती।
श्री अग्रवाल ने कहा की विदर्भ पेरेंट्स असोसिएशन सरकार से मांग करती है की ऑनलाइन शिक्षा हेतु जो भी लगाने वाले उपकरण है वे सभी
बच्चो को उपलब्ध कराये या स्कूलों को आदेश दे की वे अपने विद्यार्थियों  को उपकरन दे और उसके बाद भी इस प्रकार की शिक्षा चालू की जाये। श्री
अग्रवाल ने कहा वैसे भी शोध निष्कर्षो के अनुसार यह सिद्ध हो गया है की मोबाईल उपकरण के कई हानि है और १४ साल तक के बच्चो को इससे दूर रखना चाहिए।
श्री अग्रवाल ने सरकार से अपील की है की कृपया हिंदुस्तान को अमीरी और गरीबी की खाई में ना बटने दे। विदर्भ पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने प्रेस विज्ञप्तिजारी कर कहा है की ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों के मन में बढ़ रही अमीरी – गराबी की खाई कॅरोना महामारी में सेहत के आलावा आम आदमी इस समय सबसे ज्यादा फिक्रमंद है तो वह अपने बच्चो के भविष्य को लेकर चार महीने से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे।
अभिभावकों को जब तक अपने बच्चो की सुरक्षा का यकीन  नहीं हो जाता ,तब तक वह आसानी से उन्हें स्कूल भेजने का जोखिम नहीं लेंगे। ऐसे में ऑनलाइन पढाई एकमात्र विकल्प के तौर पर आजमाई जा रही है ,लेकिन जिस तरह से इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे है ,उससे भविष्य में
सामाजिक संकट का भी खतरा है। यह खतरा केवल बच्चो के छोटी उम्र मे उनकी आखो पर पड़ने वाले असर का ही नहीं है। एक खतरा अभिभावको और बच्चो में सामाजिक व् आर्थिक हीनता पैदा होने का भी बढ़ गया है। देश के अनेक भागो से खबरे आ रही है की ऑनलाइन पढाई के लिए अभिभावक अपने बच्चो को सस्ते से सस्ता स्मॉर्ट फ़ोन भी नहीं दिला पा रहे है। देश में केवल ४० % के पास फिचर फोन है ग्रामीण इलाके में ९०% के पास फिचर फ़ोन नहीं है। ऐसे में ग्रामीण इलाके के बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करेंगे यह एक बड़ा प्रशन है।
ग्रामीण इलाके में न ही अभिभावक उतने पड़े लिखे है के फिचर फ़ोन को अच्छे से चला सके और बच्चों के साथ बैठ कर उन्हे दिशानिर्देश दे सके ऊपर से डेटा और कनेक्टिविटी की परेशानी अलग है। ऐसे अभिभावकों की संख्या भी बहुत ज्यादा है ,जो एक से ज्यादा बच्चो के लिए इंतजाम करने में समक्ष नहीं है। घर में एक ही स्मार्टफोन है। जो बच्चो में अमीरी -गरीबी की खाई को और ज्यादा गहरा कर रहे है। शिक्षा पर सबका अधिकार होता है ,लेकिन बदली व्यवस्था में इस अधिकार को पाना मोबाईल ने दुष्कर कर दिया है। उन बच्चो के मानसिक विकास पर कितना असर पड सकता है ,जिनके मन में मोबाईल न होने की कसक है।
 श्री अग्रवाल ने कहा की हिंदुस्तान ग्रामीण में बसता है आज भी ७६% आबादी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भर है जहा उन्हें दो वक्त की रोटी जुगाड़ना
कठिन है वहा कैसे वे अपने बच्चो को ऑनलाइन शिक्षण हेतु संसाधन उपलबद्ध करा पायगे। ऑनलाइन शिक्षा के कारन  बच्चो में अमीरी और गरीबी की भावना उत्पन हो रही है और बिना संसाधन वाले बच्चो में अनंत जटिल भावना का निर्माण हो रहा है जो देश के लिए घातक है ,बेहतर होता की सरकार पहले देश के सभी बच्चो को संसाधन उपलब्ध करके देती उसके बाद इस प्रकार की योजना चालू करती।
श्री अग्रवाल ने कहा की विदर्भ पेरेंट्स असोसिएशन सरकार से मांग करती है की ऑनलाइन शिक्षा हेतु जो भी लगाने वाले उपकरण है वे सभी
बच्चो को उपलब्ध कराये या स्कूलों को आदेश दे की वे अपने विद्यार्थियों को उपकरन दे और उसके बाद भी इस प्रकार की शिक्षा चालू की जाये। श्री
अग्रवाल ने कहा वैसे भी शोध निष्कर्षो के अनुसार यह सिद्ध हो गया है की मोबाईल उपकरण के कई हानि है और १४ साल तक के बच्चो को इससे दूर रखना चाहिए।
श्री अग्रवाल ने सरकार से अपील की है की कृपया हिंदुस्तान को अमीरी और गरीबी की खाई में ना बटने दे।

 
			


 







 
			 
			
