Published On : Sat, Jan 5th, 2019

राम मंदिर निर्माण के लिए कुंभ के अवसर पर साधु-संतों के साथ संघप्रमुख भरेंगे हुँकार

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नागपुर – राम मंदिर निर्माण के लिए संघ सत्ता से संघर्ष के मूड में है। पहले बात जहाँ जनांदोलन के रास्ते मंदिर निर्माण की बात होती थी अब सीधे सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास हो रहा है। संघ की माँग के बाद भी सरकार ने मामला न्यायालय में होने की बात कह कर अध्यादेश लाने की तुरंत माँग पर कोई पहल नहीं की है। जिसे देखते हुए अब धार्मिक माँग का दबाव बनाया जायेगा और इसकी शुरुवात होगी प्रयागराज में होने वाले आगामी कुंभ से,संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत 31 जनवरी को कुंभ के दौरान आने आयोजित संयुक्त धर्म संसद की बैठक में हिस्सा लेंगे। संघ की ईकाई विश्व हिंदू परिषद भी धर्म संसद का आयोजन करती रही है जिसमे संघ प्रमुख जाते भी रहे है लेकिन यह पहला अवसर होगा। जब किसी अन्य धर्म संसद में खुद सर संघचालक अपनी उपस्थिति दर्ज करायेगे। कुंभ हिंदू समाज का बड़ा धार्मिक आयोजन होता है। जिसमे होने वाली घटनाओं का अपना सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव भी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक संघ प्रमुख का 31 जनवरी और 1 फ़रवरी को धर्म संसद में जाने का कार्यक्रम तय हो चुका है। इस आयोजन के दौरान धर्माचार्यो के बीच जिस मुद्दे पर अहम चर्चा होगी वह राम मंदिर ही है।

संघ प्रमुख पहले ही कह चुके है कि मंदिर के लिए जन आंदोलन को खड़ा करना होगा और इसका नेतृत्व साधु-संतों को ही करना होगा। विजयादशमी के दिन दिए गए भाषण में उन्होंने स्पस्ट बातें सरकार से कहीं थी। जो अब तक पूरी नहीं हुई है। संघ के अब तक के इतिहास में मौजूदा संघप्रमुख अपनी बातों को स्पस्ट तरीक़े से रखने के लिए जाने जाते है। घुमाफिरा कर बात करने के बजाये उनका सीधा संकेत होता है। राम मंदिर को लेकर संघ की माँग समय से पूरी होती नहीं दिखाई दे रही है। हालही में एक शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम में नागपुर में सरकार की नई शिक्षा नीति को लेकर हो रही देरी पर भी खिंचाई की थी। उन्होंने साफ़ तौर से यह भी कहाँ था कि जनता को अपनी माँग सरकार तक पहुँचानी चाहिए दबाव होगा तो सरकार जनता की माँग के अनुरूप नीतियाँ तैयार करने के लिए विवश होगी।

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समाचार एजेंसी एएनआय को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पस्ट रूप से राम मंदिर पर सरकार की भूमिका बताई। इस पर सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने कहाँ था कि सरकार ने मंदिर निर्माण का वादा किया था उसे पूरा करना चाहिए। यह बयान सरकार को संकेत था। प्रधानमंत्री के बयान पर सरसंघचालक से पत्रकारों द्वारा पूछी गई प्रक्रिया में उन्होंने कहाँ था जो बात भैय्याजी ने कहीं है वह उनकी और संघ दोनों की बात,अंतिम बात है।

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