Published On : Fri, Mar 3rd, 2017

तीन साल से पंद्रह सौ साल पुराने सिक्कों की चोरी क्यों छिपा रहा है नागपुर विश्वविद्यालय!

Advertisement


नागपुर:
 राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (रातुमनावि) प्रशासन इन दिनों सवालों के घेरे में है। इस बार विष्णुकुंडीन काल के प्राचीन सिक्कों और अन्य कई पुरातात्विक महत्त्व की वस्तुओं की चोरी छिपाने के लिए निशाने पर है। ज्ञात हो तेलंगाना साम्राज्य में ईस्वी सन 420 से 624 तक विष्णुकुंडीन वंश का राज्य था। लगभग पंद्रह सौ साल प्राचीन सिक्के रातुमनावि के प्राचीन इतिहास एवं पुरातात्विक अध्ययन विभाग को खुदाई में मिले थे और विभाग में ही सुरक्षित रखे गए थे। पुरातात्विक विभाग होने की वजह से वहां पुरातात्विक महत्व की कई ऐतिहासिक वस्तुएं भी रखी थीं। तीन साल पहले सिक्के और पुरातात्विक महत्त्व की तमाम चीजें चोरी हो गईं।

विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक साल तक चोरी की बात को दबाए रखा। फिर दो साल पहले जब रातुमनावि के प्रभारी उपकुलपति के तौर पर नागपुर संभाग के आयुक्त अनूप कुमार की नियुक्ति हुई तो उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी विभाग से ब्यौरे तलब किए, उसी दौरान इस होश उड़ा देने वाली चोरी का उनको पता चला। उन्होंने फ़ौरन प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. चंद्रशेखर गुप्त और डॉ. इस्माइल के नेतृत्व में इस चोरी की जाँच के लिए समिति गठित की। समिति ने 224 सिक्के तथा अन्य वस्तुएं जिसमें प्राचीन मूर्तियां, बर्तन, हथियार आदि के चोरी हो जाने की पुष्टि की।

बाद में अनूप कुमार की जगह डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे पूर्णकालिक रातुमनावि उपकुलपति नियुक्त हुए। लेकिन उन्होंने चोरी की जाँच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर आश्चर्यजनक ढंग से कोई कार्रवाई ही नहीं की।

फिर 2016 में पुनः इस प्रकरण के मुंह उठाने से रातुमनावि के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग प्रमुख डॉ. श्रीमती त्रिवेदी ने अंबाझरी थाने में गत वर्ष जुलाई माह में शिकायत दर्ज करायी।

इस समूचे प्रकरण में रातुमनावि प्रशासन की पर्ले दर्जे की लापरवाही उजागर हुई है और जानकारों का मानना है कि नागपुर विश्वविद्यालय प्रशासन जानता है कि चोर कौन है इसलिए उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है। यदि ऐसा नहीं है आखिर अंबाझरी पुलिस ने इतनी महत्व की चोरी के मामले में साधारण पूछताछ भी अभी तक क्यों शुरु नहीं की है?