Published On : Sun, Dec 12th, 2021
nagpurhindinews | By Nagpur Today Nagpur News

अधिकारी नही सुलझा रहें खिड़की की समस्या

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– जानलेवा साबित हो सकती है खिडकी की समस्या

हिंगणा – हिंगना तहसील की वानाडोगरी नगर परिषद के प्रभाग 8 में बाबड़े सभागृह के पीछे, मंगलमूर्ति कॉलोनी में विगत कुछ वर्षों से खिडकी को लेकर विवाद चल रहा है। वानाडोगरी नगर परिषद के अधिकारी को कई बार शिकायत करने पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जिसकी वजह से इस मामले को लेकर दोनों परिवारों में 17 जलाई 2021 को हाथापाई भी हो चुकी है। यह मामला एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में जानें के बाद दोनो पक्षों पर प्रतिबंधक करवाईं की गई है। आए दिन इस खिडकी को लेकर झगड़ा होता रहता है। इसके चलते एक दिन बड़ी घटना होने का अंदेशा बना हुआ है। लेकीन नगर परिषद द्वारा किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं होने से समस्या को बढ़ावा मिल रहा है।

बता दें कि नप के प्रभाग 8 में मंगलमूर्ति कॉलोनी मे कमला गुर्वे का प्लाट नं 34 है और धनराज बेलसरे का प्लाट नं 35 है। दोनो का प्लाट की सीमा एक तरफ़ से लगी हुई है। लेकीन कमला गुर्वे ने अपना घर प्लाट की सीमा से छोड़ कर बनाया है। वहीं धनराज बेलसरे ने अपना घर गुर्वे के तरफ़ से कुछ भी जगह नहीं छोड़ते हुए बनाया है। बेलसर की जगह नहीं होने के बावजूद भी गुरवे के घर की ओर बेलसरे ने अपनी दीवाल पर बड़ी खिडकी बना दि है और वेंटीलेटर की छोटी खिडकी भी रखी है। गुर्वे का कहना है कि जब उसकी जगह ही नहीं है तो वह सीमा वाली दीवार पर नियम के अनुसार खिडकी नही दे सकती। वहीं बेलसरे का भी कहना है कि गुरवे ने हमारी दीवाल से लगकर पिछले हिस्से में बाथरूम बनाया है। जिसके चलते आए दिन यहां वादविवाद होता रहता है।

मुख्याधिकारी भगत ने बंद की थी खिडकी
इस ममाले में पुर्व मुख्याधिकारी राजेश भगत ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए बेलसरे की खिडकी को नियमों के विरुद्ध। मानते हुए नगर परिषद की ओर से दीवाल चढ़ाकर बंद कर दिया था। लेकीन बेलसरे ने शाम को वह दीवार तोड़ दी थीं। तब से यह मामला जस के तस बड़ा है।

हम कुछ नहीं कर सकते
इस मामले में करवाईं कर समस्या का निवारण करने के लिए हाल ही में एमआईडीसी पुलिस स्टेशन द्वारा वानाडोगरी नगर परिषद के मुख्याधिकारी को पत्र लिखा था। लेकीन जवाब में विद्यमान मुख्याधिकारी ने पुलिस को लिखित में दीया है कि इन दोनो का विवाद आपसी है। हम कुछ नहीं कर सकते। नगर परिषद के अधिकारी ही ऐसा कहेंगे तो न्याय के लिए लोग कहा जाए। यह सवाल खड़ा होता है। इससे नप के अधिकारियों की लापरवाही साफ नजर आती हैं।