नई दिल्ली: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बुधवार को 2016-17 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी कर दी. रिपोर्ट में आरबीआई ने बताया है कि नोटबंदी के बाद चलन से बाहर किए गए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों में से लगभग 99 फ़ीसदी बैंकिंग सिस्टम में वापस लौट आए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, बंद किए गए नोटों में 15.44 लाख करोड़ में से 15.28 लाख करोड़ वापस आ गए हैं जो कुल अनुमानित आंकड़े का लगभग 99 फ़ीसदी है. यानी कि 16,000 करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं आए हैं.
आरबीआई के मुताबिक 1000 रुपये के तकरीबन 8.9 करोड़ नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं लौटे हैं.
‘लाल किले से प्रधानमंत्री बताएं नोटबंदी के फायदे’
छपाई पर 8 हज़ार करोड़ ख़र्च
अर्थशास्त्री धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि, “सारे नोट वापस आ जाना नोटबंदी का बड़ा उद्देश्य होता है. उम्मीद थी कि थोड़ा पैसा नहीं आएगा. कितने नकली नोट आए और कितने नकली नोट सिस्टम से निकल गए इसकी जानकारी आगे आएगी तो काफ़ी फायदेमंद होगी.”
केंद्रीय बैंक ने बताया है कि उसने नए नोट की छपाई पर तकरीबन 8,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं जिसका पिछला आंकड़ा 3,420 करोड़ रुपये था.
इस पर धीरेंद्र कहते हैं कि यह आंकड़ा काफ़ी बड़ा नहीं है क्योंकि इसके कारण 15 लाख करोड़ से अधिक रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस आना बड़ी बात है.
किसानों की समस्या मोदी की नोटबंदी की देन?
‘शर्म आनी चाहिए’
धीरेंद्र नोटबंदी को फाइनेंशियल सिस्टम की सफ़ाई बताते हुए कहते हैं कि इसे सफ़ल माना जा सकता है क्योंकि इसने सिस्टम को झकझोरा है और लोगों की सोच में भी बदलाव किया है.
वहीं, कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने ट्वीट किया है, “नोटबंदी के बाद 15.44 लाख करोड़ में से 16 हज़ार करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं लौटे हैं जो 1 फ़ीसदी है. आरबीआई को शर्म आनी चाहिए जिसने नोटबंदी की सिफ़ारिश की.”
क्या वाकई नोटबंदी के अच्छे परिणाम आएंगे ?