नागपुर: मनपा प्रशासन के पास शहर विकास करने के लिए निधि नहीं, जारी जनसुविधाओं के मरम्मत के लिए पैसों का अभाव, कर्मियों को बांटने के लिए वेतन की राशि नहीं व सेवानिवृत्तों को देने के लिए धन का अभाव जैसी समस्या से जूझ रही है। बावजूद इसके मनपा ने राष्ट्रपति दौरे को यादगार बनाने के लिए लाखों रुपए विभिन्न मदों से खर्च कर रही है। जिसे सत्ताधारी खुश तो मनपा के सेवानिवृत्त कर्मियों में काफी रोष है, क्या इसे ही अच्छे दिन कहा जाए।
मनपा के वर्ष 2017-18 के घोषित बजट के विपरित काम जारी है। तय रणनीति के हिसाब से चुनिंदा पक्ष-विपक्ष के नगरसेवकों के प्रस्तावों को उनके मनमुताबिक निधि दी जा रही है। शेष नगरसेवकों को खून के आंसू रोने पड़ रहे हैं। मनपा के हाई प्रोफाइल ठेकेदारों को बिना किसी रोक-टोक के उनकी मासिक क़िस्त उन्हें दे दी जा रही हैं। मनपा कर्मियों को उनके रोजाना के कामकाज और जिम्मेदारियों का सोशल ऑडिट किए पिछले कुछ माह से नियमित किया जा रहा है।
दूसरी ओर मनपा के कर्मी वर्ष 2016 से हर माह 2 से 4 दर्जन सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन्हें सेवानिवृत्त दिन को सारी जमापूंजी एक साथ नहीं दी जा रही हैं। कम से कम माह भर में दे दिया जाना चाहिए,केंद्र सरकार अपने कर्मियों को सेवानिवृत्ति के दिन सम्पूर्ण बकाया दे देती है।
मनपा के सेवानिवृत्त कर्मियों को जीपीएफ,ग्रेज्युटी, जीआईएस और लीव इनकैशमेंट की राशि मिलनी चाहिए। मनपा प्रशासन रोते-गाते सेवानिवृत्तों को चक्कर खिलवाते जीपीएफ सेवानिवृत्ति के दिन दे देते हैं। जीआईएस का चेक २ से ३ माह में दिया जा रहा है। ग्रेज्यूटी की राशि ४ से ५ माह में दी जा रही है। सिर्फ लीव इनकैशमेंट की लाखों रूपए की राशि के लिए साल-साल भर रुकना पड़ रहा है। साल-साल भर रुकने के बाद भी बिन ब्याज के राशि थमाई जा रही है। लीव इनकैशमेंट अर्थात सम्पूर्ण सेवा के दौरान जमा छुट्टियां बेचने पर राशियां दी जाती हैं।
फ़िलहाल सितम्बर २०१६ में सेवानिवृत्त हुए कर्मियों को लीव इनकैशमेंट की राशि बिन ब्याज के दी जा रही है। यह राशि प्रति सेवानिवृत्त कर्मी औसतन ५ लाख रूपए कम से कम होती है। वर्तमान में ३०० के आसपास सेवानिवृत्त कर्मी लीव इनकैशमेंट की राशि के लिए कतारबद्ध हैं। मनपा प्रशासन को लगभग ५ करोड़ रूपए सिर्फ सेवानिवृत्तों का बकाया है। लगभग प्रत्येक माह सेवानिवृत्तों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।
सेवानिवृत्तों के अनुसार जब मनपा की इतनी दयनीय अवस्था है तो राष्ट्रपति के दौरे के लिए लाखों की फिजूलखर्ची नहीं की जानी चाहिए थी। यही खर्च राज्य सरकार के अन्य विभागों के मार्फ़त होता तो हमें भी महामहिम के आने की ख़ुशी होती। आज तो ऐसा महसूस हो रहा कि हमारे सेवानिवृति की राशि के ब्याज से उनका दौरा यादगार बनाकर हमारे द्वारा दिए गए सेवाओं का मजाक उड़ाया जा रहा है।
फिजूलखर्ची की संज्ञा इसलिए देना सही है कि महामहिम के दौरे को यादगार बनाने के लिए किए जा रहे खर्च से अस्थाई व्यवस्था-सजावट की जा रही है।