नागपुर: मनपा प्रशासन सह महापौर आये दिन शहरवासियों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाते व खुद की पीठ थपथपाते नज़र आ जायेंगे. लेकिन जब नागपुर टुडे ने मनपा मुख्यालय की परिक्रमा की तो शौचालय सह सैकड़ों कोने में पिकदान पाए गए. इस दृश्य को देख एक अधिकारी ने यहाँ तक कह डाला कि ‘ चिराग तले अक्सर अँधेरा ही होता है ‘……. क्या यह भी मोदी के उपक्रमों का हिस्सा है.
पिछले ३ -४ माह से मनपा प्रशासन ने नदी-नाले के साफ़-सफाई अभियान की शुरुआत की, जो कि हर वर्ष इसी माह के आसपास की जाती है. इस अभियान के तहत २५० से अधिक नदी-नालों की रुपरेखा कागजों पर खींची जाती है. लेकिन प्रत्यक्ष में आज भी एक भी छोटी नाली पूर्णतः साफ़ करने में मनपा प्रशासन को सफलता नहीं मिल पायी है. इस अभियान के तहत साफ़-सफाई के नाम पर मनपा खजाना विभाग के खजाने पर हाथ-सफाई अप्रत्यक्ष रूपसे ही सही लेकिन सफलता पूर्वक की जाती रही है. क्योंकि अभियान के नाम पर लाखों के भुगतान का बिल मनपा के दर जरूर पहुँच चूका है.
मनपा मुख्यालय परिसर में मोदी के स्वच्छता अभियान को चुना ‘ नागपुरी खर्रे ‘ लगा रहे है.इससे मनपायुक्त कार्यालय सह महापौर कार्यालय भी अछूता नहीं है.जिसकी वजह से मसिर्फ मनपा मुख्यालय में सैकड़ों जगह ‘ अवैध पिकदान ‘ का रूप ले चुके है.
गिला-सूखा बनाम गिला-शिकवा
गिला-सूखा नहीं यह कहिये कि प्रशासन- सत्तापक्ष ने घोषणा पर खुद लागु करने में असफल रहने पर जनता-करदाता भड़कने के बजाए प्रशासन से “गिला-शिकवा” न रखे. मोदी के निर्देश पर ‘अचानक में भयानक ‘ निर्णय लेने के बजाय मनपा प्रशासन पहले खुद की व्यवस्था ठोस कर ले. ‘गिला-सूखा’ कचरा संकलन के लिए हरा-नीला ( रंग और कोई नहीं मिला ) डब्बे का वितरण, जोन स्तर पर बिक्री केंद्र, नगरसेवकों के निधि से डब्बों का वितरण आदि दरअसल एक धांधली ही है. जनता,करदाता के साथ ही साथ नए-नवेले नगरसेवकों के साथ छलावा है. नगरसेवकों की २-२ लाख की निधि इस चक्कर में स्वाहा कर दी जाएँगी. इस तरह मनपा खजाने से ३,१२,००,००० रूपए सह महापौर, उपमहापौर, स्थाई समिति के कोटे से सवा- डेढ़ करोड़ रूपए का चुना लगने वाला है. वैसे मनपा बजट में नगरसेवकों को वार्षिक निधि १५-१५ लाख रूपए देना तय हुआ था, उसमें से २-२ लाख की ‘ कटिंग ‘ गिला-सूखा कचरा संकलन के लिए किया जाने की योजना थी. लेकिन नगरसेवकों के विरोध में उक्त अभियान के लिए २-२ लाख रूपए नगरसेवकों को अतिरिक्त देने की घोषणा की गई, जिसे फिर उक्त अभियान के मार्फ़त काट लिया जायेगा. बजट चर्चा सत्र में २-२ लाख रूपए प्रत्येक नगरसेवकों को देने की घोषणा कर दी गई, अब प्रशासन मनपा बजट वर्ष २०१७-१८ के दौरान दर्शाये गए ‘मद्द’ में दर्शाये गए अंदाजन राशि से कटौती कर ३,१२,००,००० रूपए जुटाने में मदमस्त है.
ब्रिक्स व कनक है मनपा खजाने का दीमक
ब्रिक्स को मनपा के शौचालय आदि रोजाना समय-समय पर साफ़-सफाई रखने, शहर का कचरा उठाने आदि के लिए कनक रिसोर्स नामक ठेकेदार को वर्षो से मनपा प्रशासन दर माह करोड़ों में भुगतान कर रही है. दोनों ही ठेकेदार कंपनी को मनपा में सक्रिय खादीधारियों का वरदहस्त प्राप्त है. जिसकी वजह से मनपा प्रशासन निक्कमे ठेकेदारों को बिना आनाकानी के भुगतान करती आ रही है. कल दोपहर ब्रिक्स कंपनी के ठेकेदार नशे की हालत में मनपायुक्त कार्यालय परिसर में आये, स्वास्थ्य विभाग के उनके करीबी कर्मी ने उन्हें भेजा था. उनका फाइल किसी कार्यालयीन कार्य के लिए आयुक्तालय आया था. उक्त ठेकेदार ने मनपा में अपने आका ( पूर्व पदाधिकारी) का रुबाब दिखते हुए कुछ मनपा कर्मियों की ऐसी-तैसी की, बात नहीं बनी तो कह गए उसके आका आएंगे और उनका काम करवाकर देंगे.
मनपा में जमादार राज
मनपा में जमादार गिने-चुने है. शहर की हालात ख़राब करने में इनकी अहम भूमिका है. ये जमादार मनपा मुख्यालय के अधिकारी, जोनल अधिकारी, स्वास्थ्य समिति सभापति अपने कार्यक्षेत्र के नगरसेवक, स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत कार्यरत ठेकेदार कंपनियां सह अपने अधिकार क्षेत्र में कार्यरत सफाई कर्मियों को वर्षों से बखूबी सँभालते आ रहे है. उक्त सभी इन जमादारों को ‘ओवरटेक’ नहीं करते है. ये सफाई कर्मियों के हज़ारी घोटाले में पूर्णतः लिप्त है. वर्षो पहले मनपा में ‘फ़ूड इंस्पेक्टर’ हुआ करते थे, इन पर खानपान के विक्रेताओँ की जाँच का जिम्मा होता था, अब पिछले कुछ वर्षो से उक्त जिम्मा राज्य के स्वास्थ्य विभाग आदि निभा रहे है.
उल्लेखनीय यह है कि, मनपा स्वास्थ्य विभाग नाम की रह गई है. जबकी यह विभाग कई संक्रमणों से अस्वस्थ है. फिर इनसे शहर स्वस्थ रखने की उम्मीद रखना वैसा ही होंगा जैसे ‘ आसमान की तरफ देख अपने मुख से थूंकना ‘. क्योंकि मनपायुक्त आज भी नए-नवेले है, उन्हें उक्त मामलातों का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, यह जरूर उम्मीद जताई जा सकती है कि वें विभाग को स्वस्थ करने हेतु बिना खादीधारियों के दबाव ठोस कदम उठाये.