Published On : Tue, Apr 24th, 2018

मनपा प्रशासन करती है नियुक्तियों में भ्रष्टाचार

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नागपुर: नागपुर महानगरपालिका में विधि समिति के सभापति अधिवक्ता धर्मपाल मेश्राम ने मनपा प्रशासन पर लाडपागे समिति के तहत अनुकम्पा तत्व पर किए जाने वाली नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का संगीन आरोप लगाकर एक नया बवाल खड़ा कर दिया.

मेश्राम के अनुसार शालू सवई थूल नामक महिला ने पिता महादेव मेश्राम के रिक्त स्थान पर नौकरी के लिए आवेदन किया था. शालू विवाहित पुत्री होने के बावजूद राज्य सरकार के अध्यादेश के अनुसार उसे अनुकम्पा पर नौकरी देने के सन्दर्भ में तर्क भी दिया था. लेकिन मनपा सामान्य प्रशासन विभाग ने दिए गए तर्क को सही न ठहराते हुए शालू की मांग को अस्वीकार कर दिया.

उक्त मामले को लेकर अधिवक्ता मेश्राम ने आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त से भी मानवीयता के आधार पर सकारात्मक पहल की मांग की लेकिन उन्होंने निर्णय देने के बजाय टाल दिया.

इतना ही नहीं ३ दिन पूर्व मनपा की आमसभा में अधिवक्ता मेश्राम ने उक्त मामला को उठाते हुए २६ फरवरी २०१३ के सरकारी अध्यादेश के आधार पर शालू को न्याय देने की मांग की थी. इसके जवाब में अपर आयुक्त रवींद्र कुम्भारे ने स्पष्ट रूप से सामान्य प्रशासन विभाग के इस अध्यादेश के अनुसार नियुक्ति संभव नहीं होने की जानकारी सभागृह में उपस्थितों को दी थी. कुम्भारे के जवाब से असंतुष्ट अधिवक्ता मेश्राम ने अपर आयुक्त कुम्भारे पर भी कार्रवाई की मांग की.

उल्लेखनीय यह है कि मनपा में सत्तापक्ष के ही सदस्य अधिवक्ता मेश्राम और मनपा स्वास्थ्य समिति के सभापति हैं.सत्तापक्ष के नगरसेवकों की मांग को लेकर स्वास्थ्य विभाग समिति के सभापति की निष्क्रियता समझ से परे है. इतना ही नहीं मनपा इस निष्क्रिय सभापति को दोबारा सभापति पद पर कायम रख क्या सत्तापक्ष के नगरसेवक के साथ अन्याय कर रही है.

उधर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अधिवक्ता मेश्राम का आरोप निराधार है. नियम के विरुद्ध दबाव में कोई पहल मुमकिन नहीं, इसके बाद भी दोषी पाए गए तो वर्तमान जिम्मेदारी से मुक्त होने के लिए हमेशा से तैयार हैं.