जमीन खरीदी मामले में उजागर हुआ कारनामा
नागपुर: एनसीपी नेता किशोर चौधरी ने एक और आरोप जड़ कर सनसनी फैला दी कि चंद्रशेखर बावनकुले ने अपने परिजन के नाम जमीन खरीदी की कागजात तैयार करवाई और उस कागजातों पर खुद “अंकित” परिजन के रूप में पेश हुआ। और तो और सभी कागजातों पर परिजन के हस्ताक्षर के बदले खुद का हस्ताक्षर किया। जो कि सरासर गैरकृत है। इस मामले की स्वतंत्र जांच एजेंसी से सूक्षमता से जांच हो व सभी संबंधितों पर कानूनन कार्रवाई की जाये।
चौधरी के अनुसार चंद्रशेखर बावनकुले ने अपने भाई नंदकिशोर उर्फ़ बापू बावनकुले के नाम का जमीन खरीदी का कागजात बनवाकर ५ दिसंबर १९९४ में रजिस्ट्री करवाया। इस रजिस्ट्री के वक़्त खुद को चंद्रशेखर बावनकुले ने नंदकिशोर बावनकुले बतलाया जरूर लेकिन हस्ताक्षर चंद्रशेखर बावनकुले ने सभी जगह खुद का हस्ताक्षर किया।
चौधरी के अनुसार यह जमीन नेशनल हाईवे से सटी है और कोराडी मुख्य बाजार परिसर में स्थित है। फ़िलहाल इस जमीन पर बनी इमारत में नागपुर नागरिक बैंक की शाखा संचालित है। हक़ीक़त में यह जमीन सरकारी है। इस जमीन का कुछ हिस्सा लगभग ५०० वर्ग मीटर जमीन सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश पर लौटाई थी।
चौधरी ने बताया कि बावनकुले ने उक्त जमीन किसी सुलेमान भाई के नाम दर्शाकर फिर अपने भाई नदंकिशोर बावनकुले के नाम खरीदी दर्शाई। बावनकुले ने जो हस्ताक्षर उक्त रजिस्ट्री के वक्त किया था, उसी तरह का हस्ताक्षर २४ फरवरी से लेकर आज तक सभी व्यवहारों में करते आ रहे है। चौधरी ने यह भी बतलाया कि उक्त जमीन पर निर्मित ईमारत का कमरा क्रमांक -९ नारायण बावनकुले, कमरा क्रमण-१० यदुनंदन, कमरा क्रमांक-१२ चंद्रशेखर बावनकुले, पहले मंजिल नंदकिशोर व पुरुषोत्तम बावनकुले, दूसरे मंजिल संकेत बावनकुले, तीसरा मंजिल जो खुला है वह कुमारी पायल बावनकुले के नाम सरकारी दस्तावेज में अंकित है।
इस इमारत को नेशनल हाईवे ने तोड़ने का नोटिस थमाया है। नोटिस के अनुसार नहीं तो नेशनल हाईवे विभाग तोड़ेगा।
वर्ष १९९१ में चंद्रशेखर बावनकुले ने अखिल भारतीय प्रकल्पग्रस्त बेरोजगार समिति का पंजीयन करवाया था। तब वे खुद उस समिति के अध्यक्ष थे। इस सन्दर्भ में सभी कागजातों सह मेमोरेंडम पर बावनकुले ने जो हस्ताक्षर किये सभी के सभी उक्त रजिस्ट्री पर किये गए हस्ताक्षर से मिलते-जुलते है।
२७ मार्च २००२ को jmfc कोर्ट क्रमांक ६ में चंद्रशेखर बावनकुले ने जो प्रकरण दायर किया था। उससे संबंधित सभी कागजातों पर व कोर्ट में पेश एफिडेविट पर उक्त रजिस्ट्री में अंकित चंद्रशेखर बावनकुले के हस्ताक्षर एक समान है। इसके अलावा झूठी कागजातों के आधार पर बावनकुले ने अपने सभी परिजनों का जो प्रमाणपत्र (नाम बावनकुले परिजनों व संबंधितों का) बनवाया और उसके समक्ष की हस्ताक्षर सभी बावनकुले के ही है।
४ अप्रैल २००० को एक कागजी करार हुई। जिसके तहत राधेश्याम निबोने ने नदंकिशोर बावनकुले को बेचा। इस करारपत्र पर अंकित लिखाई चंद्रशेखर बावनकुले के है तथा करारपत्र पर गवाहदार के रूप में हस्ताक्षर चंद्रशेखर बावनकुले के है।
चौधरी ने अंत में यह कहा कि इससे यह साबित होता है कि चंद्रशेखर बावनकुले से गलती से नहीं बल्कि जानबूझकर मगरूरियत से परिजनों के नाम कागजात बनवाये फिर उन पर खुद हस्ताक्षर किया। यह सोचकर की किसे समझ में आएगा असलियत। उक्त सभी कागजी सबूतो के आधार पर राज्य सरकार, मुख्यमंत्री से गुजारिश है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच एजेंसी से सूक्षमता से जांच हो व सभी संबंधितों पर कानूनन कार्रवाई की जाये।
– राजीव रंजन कुशवाहा