Published On : Mon, Oct 23rd, 2017

सिनेमाघरों में राष्ट्रगान: देशभक्ति के लिए बाजू पर पट्टा लगाकर घूमने की जरूरत नहीं- सुप्रीम कोर्ट

Advertisement

Supreme Court
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी को भी देशभक्ति साबित करने के लिए उसे हर वक्त बाजू में पट्टा लगाकर घूमने की जरूरत नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देशभक्त होने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है। ये टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष नवंबर में दिए उस अंतरिम आदेश में बदलाव के संकेत दिए हैं जिसमें देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने और दर्शकों को उस दौरान खड़े होने के लिए कहा गया था।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान न गाने और उस दौरान खड़े न होना राष्ट्रविरोधी नहीं है। किसी को भी देशभक्ति का प्रमाण देने के लिए बाजू में पट्टा लगाकर घूमने की जरूरत नहीं है।

पीठ ने कहा कि हमें यह क्यों मानना चाहिए कि जो राष्ट्रगान नहीं गाते वे कम देशभक्त हैं। देशभक्त होने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है। पीठ ने कहा कि अदालत अपने आदेशों के जरिए लोगों को देशभक्ति नहीं समझा सकता। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा ‘अगर उसे लगता है कि राष्ट्रगान के वक्त सभी व्यक्तियों को खड़ा होना चाहिए तो वह क्यों नहीं कानून बनाती है। क्यों नहीं वह खुद ही नेशनल फ्लेग कोड में संशोधन करती है। आखिरकार सरकार न्यायालय के कंधे में रखकर गोली क्यों चलाना चाहती है।’

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पर विचार करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने और दर्शकों को उस दौरान खड़े होने के आदेश में बदलाव की गुहार की गई है।

सिनेमाघरों में हाफ पैंट पहनकर नहीं जा सकते क्योंकि इससे राष्ट्रगान का अपमान होगा

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने नवंबर के अंतरिम आदेश को सही बताते हुए कहा कि भारत विविधताओं का देश है और सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना देश में एकरूपता लाने का एक जरिया है।

Gold Rate
09 May 2025
Gold 24 KT 96,800/-
Gold 22 KT 90,000/-
Silver/Kg 96,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने नवंबर, 2016 के अंतरिम आदेश पर नाखुशी जताते हुए कहा, ‘लोगों में इस बात का डर है कि अगर वह आदेश का विरोध करते हैं तो उन्हें राष्ट्रविरोधी करार दे दिया जाएगा। लोग मनोरंजन के लिए सिनेमाघरों में जाते हैं। समाज को मनोरंजन की जरूरत है। ऐसे में हमें यह क्यों तय करना चाहिए कि राष्ट्रगान कहां बजना चाहिए और लोगों को उस दौरान खड़े होना चाहिए या नहीं?’

Advertisement
Advertisement