Published On : Sat, Aug 13th, 2016

आया था मार्गदर्शन करने, खुद सीख के जा रहा हूँ : नाना पाटेकर

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Gadkari and Nana Patekar
नागपुर:
समाज ने जो दिया वह लौटाना हर नागरिक का फर्ज है। आस-पास फैली विषमता को देख कर दुःख होता है। देश को एक परिवार को मान कर काम करना हर किसी का लक्ष्य होना चाहिए। यह कहना है जाने माने अभिनेता और समाज सेवक नाना पाटेकर का। नाना शनिवार 13 अगस्त 2016 को स्वर्गीय लक्षमनराव मनाकर स्मृति संस्था द्वारा संचालित एकल विद्यालय के प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे। नाना ने कहा कि किसी को देने में जो मजा है वह लेने में नहीं। एक गांव एक विद्यालय की संकल्पना अद्भुत प्रयोग है। यहा पहुंचा तो मार्गदर्शन करने था, पर खुद बहुत कुछ सीख कर जा रहा हूँ। मैं खुद भी इस प्रयोग को करूंगा।

उक्त संस्था आदिवासी भागो में एकल विद्यालय की संकल्पना के साथ काम करते हुए अतिदुर्गम भागो में शिक्षा के प्रसार का काम करती है और बीते 5 वर्षो से विद्यालयों के शिक्षकों के मार्गदर्शन के लिए शिविर का आयोजन करती है।

संस्था के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने भाषण में कहा कि संस्था के माध्यम से चलने वाले विद्यालय संस्कार विद्यालय है। जो जीवन मूल्यों को सिखाते है। किसी पर उपकार और राजनीति के लिए समाज सेवा नहीं होनी चाहिए। सामाजिक दृष्टिकोण रख कर सेवा भाव से काम होने चाहिए। गरीबी, अशिक्षा, अंधश्रद्धा की वजह से आदिवासी भागो में विकास नहीं हो पाया है। संस्कार के साथ शिक्षा उपलब्ध करना संस्था का ध्येय है। आज यह संस्था 600 गावों में 22 हजार विद्यार्थियों को शिक्षा उपलब्ध करा रही है। सामाजिक भाव रख कर मात्र 1500 रूपए मासिक के मान धन पर शिक्षक कार्य कर रहे है। भविष्य में संस्था शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ के क्षेत्र में भी काम करेगी।

वही संस्था के कार्याध्यक्ष केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने कहा कि देश में कई आक्रमण हुए जिसने हमारी संस्कृति को ख़त्म करने का काम किया है। पर आदिवासियों ने इस देश की संस्कृति को जिंदा रखा है। इन इलाको में विकास की आवश्यकता है और शिक्षा विकास का मंत्र यह संस्था इस कार्य को और तेजी से आगे बढ़ाएगी।