Published On : Fri, Sep 15th, 2017

जीएसटी पर कारोबारियों का आक्रोश आंदोलन में बदल सकता है

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CAIT and GST
नागपुर:
जीएसटी पोर्टल की असफलता, अनुपालन प्रक्रियाओं के बारे में पर्याप्त ज्ञान की कमी एवं विभिन्न वस्तुओं पर कर की दरों को लेकर बरकरार असमंजस की स्थिति एवं 28% कर स्लैब के तहत बड़े पैमाने पर उपयोग की जाने वाली वस्तुओं को शामिल करने से देश भर के व्यापारिक समुदाय के बीच जीएसटी को लेकर एक बड़ा असंतोष उत्पन्न हो गया है और इस वजह से पूरे देश में जीएसटी के मुद्दे पर व्यापारी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

जीएसटी से जुड़े मुद्दों पर उलझनों की वजह से व्यापारियों में फैले असंतोष एवं असमंजस को देखते हुए कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने कहा,की “जीएसटी क्रियान्वयन के 75 दिन पूरे देश में व्यापारियों के लिए बुरे दुःस्वप्न के रूप में उभरे है जिसकी वजह से व्यापारियों में जीएसटी को लेकर तरह तरह की शंकाओं ने जन्म लिया है लेकिन इसके बावजूद भी व्यापारी अपने तौर पर जीएसटी के तहत अलग-अलग पालन प्रक्रियाओं को पूरा करने में कोशिश कर रहे हैं लेकिन इसके साथ ही उन्हें पूर्व वैट टैक्स व्यवस्था की कराधान औपचारिकताओं को भी खत्म करने के लिए जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ रहा है।”

केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकारों और यहां तक कि जीएसटी कॉउन्सिल द्वारा व्यापारिक संगठनों से आज तक कोई सीधी बातचीत अथवा समन्वय नहीं किया गया जिसके कारण से स्तिथि और जटिल हो गयी है ! नतीजतन देश भर के व्यापारी जीएसटी के मामले में अपने को बेहद उपेक्षित महसूस कर रहे हैं ! इस स्थिति और देश भर में व्यापारियों के बढ़ते दबाव को देखते हुए कैट ने सूरत में आगामी 18-19 सितंबर, 2017 को देश भर के प्रमुख व्यापारिक नेताओं की दो दिन की बैठक बुलाई है जिसमें मौजूदा स्थिति का आंकलन एवं व्यवसायों पर जीएसटी के प्रभाव की समीखा होगी और भविष्य की रणनीति तय की जाएगी जिसमें जीएसटी पर एक राष्ट्रीय आंदोलन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह इस बैठक के मुख्य एजेंडे में से एक है। पूरे देश में 100 से अधिक प्रमुख व्यापारिक नेताओं के इस दो दिन की बैठक में भाग लेने की संभावना है।कैट देश भर के व्यापारिक समुदाय का एकमात्र सर्वोच्च संगठन है जिसके साथ देश भर के 40 हजार से ज्यादा व्यापारिक संगठन जुड़े हुए हैं और जो 6 करोड़ से अधिक छोटे व्यवसायिओं का प्रतिनिधित्व करते हैं !

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतीया एवं महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने एक संयुक्त बयान में कहा, “व्यापारियों ने देश भर में जीएसटी को समर्थन देते हुए इसका स्वागत किया जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि जीएसटी के लागू होने का कोई विरोध व्यापारियों की ओर से नहीं हुआ ओर यहां तक कैट ने पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से देश में जीएसटी को जल्द लागू करने में सबसे बड़ी भूमिका निबाही है। हालांकि, जीएसटीएन पोर्टल के निराशाजनक प्रदर्शन और जीएसटी के पहले और बाद में व्यापारियों के प्रति राज्य सरकारों के उदासीन रवैये ने देश में सरलीकृत और तर्कसंगत कर प्रणाली के लागू होने की व्यापारियों की उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फेरा है यहां तक कि जीएसटी परिषद या केंद्र सरकार या राज्य सरकारों ने व्यापारियों जो जीएसटी के सबसे बड़े स्टेकहोल्डर हैं के साथ, परामर्श करने तक की कोई जरूरत नहीं समझी !”

कैट ने कहा कि अलग-अलग कर स्लैबों के तहत वस्तुओं का तर्कहीन वर्गीकरण, जटिल रिवर्स चार्ज मेकानिज्म की शुरूआत, जीएसटी कानून के साथ अन्य कानूनों की ओवरलैपिंग और कानून और प्रक्रिया के प्रावधानों से संबंधित अस्पष्टता ने देश भर में भ्रम की स्थिति पैदा की है। इन विसंगतियों के अलावा, जीएसटीएन पोर्टल की पूरी विफलता ने व्यापारियों के दैनिक जीवन में और भी परेशानियां खड़ी कर दी है। साथ ही, उन व्यापारियों को जिन्होंने अभी तक अपने व्यापार में कंप्यूटर इस्तेमाल नहीं किया है उन्हें कंप्यूटर प्रणाली के साथ जोड़ने की दिशा में भी राज्य सरकारों ने ध्यान नहीं दिया है और ना ही कोई सुविधा प्रदान की है। देश भर में लगभग 60% छोटे व्यवसायों ने कम्प्यूटरीकरण अभी तक नहीं अपनाया है। जीएसटी के मूल आधारभूत सिद्धांतों और इसके अनुपालन के बारे में दोनों व्यापारियों और उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा कोई जन जागरूकता अभियान भी शुरू नहीं किया गया था।

भरतीया और खंडेलवाल ने कहा कि व्यापारी वर्ग जीएसटी व्यवस्था में सुचारु परिवर्तन की दिशा में सरकार के साथ मिलकर चलने के लिए बेहद उत्सुक हैं लेकिन इसके लिए सरकार की यह जिम्मेदारी है कि परामर्श प्रक्रिया में व्यापारियों को सम्मिलित करें और महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाएं।