Published On : Mon, Jul 6th, 2020

अनाथ नागपुर शिवसेना को नहीं मिल रहा सक्षम-सक्रीय नाथ

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– जिला प्रमुख को पदमुक्त किये जाने के बाद अगला जिला या शहर प्रमुख बनने के लिए ललायित निष्क्रिय

नागपुर – नागपुर जिले व शहर के शिवसेना पदाधिकारियों द्वारा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से ग़ैरकृतों में लिप्त होने की खबर से उन्हें पक्ष ने पदमुक्त कर दिया।इसमें से एक को तो बर्खास्त भी कर दिया।इसके बाद नया जिला व् शहर प्रमुख बनने के लिए पक्ष के पूर्व नेतृत्वकर्ता वह भी वर्षो से निष्क्रिय इन दिनों सक्रिय हो गए हैं.

डेढ़ दशक पूर्व जब निरुपम शिवसेना में थे और नागपुर जिले के संपर्क प्रमुख थे,तब शिवसेना न सिर्फ शहर बल्कि जिले के तहसील स्तर पर सैकड़ों की संख्या में शिवसैनिकों का हुजूम तैयार किया गया था,उन्हें आधार भी दिया गया,जिससे पक्ष के पास तब ५ से ६ दर्जन नगरसेवक,जिप सदस्य,पंचायत समिति सदस्य,ग्राम पंचायत सरपंच व् सदस्य हुआ करते थे.इसी दौरान जिले में सेना का सांसद व विधायक भी बने,जिसमें से सांसद केंद्रीय मंत्री बनाए गए थे.

निरुपम के पक्ष त्यागने के बाद पक्ष का जिले में पलायन होने लगा आज जिले में दर्जनभर नगरसेवक,पंचायत समिति सदस्य,ग्राम पंचायत सदस्य आदि शेष रह गए.कारण साफ़ हैं कि पक्ष ने नागपुर जैसे महत्वपूर्ण जिले की तरफ पक्ष वृद्धि हेतु कभी ध्यान नहीं दिया।आज जो भी विधायक,नगरसेवक बना वह अपनी व्यक्तिगत संपर्क से चुना गया,इन्हीं से पक्ष जिले में दिख रही.

दूसरी बड़ी अड़चन यह रही कि रामटेक लोकसभा क्षेत्र और नागपुर लोकसभा क्षेत्र में २-२ पक्ष प्रमुखों की नियुक्ति से अन्य राजनैतिक पक्ष सह प्रशासन भी हमेशा संभ्रम में रहा.इस दौरान एक-दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप सह २-२ पदाधिकारी का एक ही पदनाम होने से पक्ष को कोई लाभ नहीं हुआ.इतना ही नहीं पिछले १० वर्षो में ६ माह से लेकर सालभर में संपर्क प्रमुख बदल दिए जाते रहे,जिसे भी संपर्क प्रमुख नियुक्त किया गया वे कोई उल्लेखनीय पहल नहीं कर पाए.

विगत २ सप्ताह से जिले में शिवसेना के तथाकथित पदाधिकारियों के कारनामों से पक्ष की हुई बदनामी ने पक्ष का नुकसान किया।यह कारनामा जिले में १-डेढ़ दशक से शुरू था.पक्ष का नागपुर जिले की ओर ध्यान न होने से जिले के शिवसैनिक जिनकी जिस क्षेत्र में तूती बोलती थी,अपना हित साधते रहे.वहीं दूसरी ओर कट्टर शिवसैनिक निष्क्रिय होते गए.जुगाड़ू शिवसैनिक मुंबई-दिल्ली का चक्कर लगाकर लाभ में रहे और पक्ष में पैठ बना रखे हैं.

अब जिले को चाहिए जमीनी स्तर का सक्रिय नेतृत्वकर्ता फिर चाहे जिले में हो या फिर शहर में.इस मामले में पक्ष ने जातिगत समीकरण को तवज्जों दी तो पक्ष का नुकसान हो सकता हैं.वर्ष २०२२ के दूसरे माह में मनपा चुनाव हैं.इस चुनाव में उल्लेखनीय जीत हासिल करने के लिए अभी से पक्ष को मजबूती देनी जरुरी हैं आज राज्य में सेना की सरकार है,राज्य सरकार की सुविधाएं जनता के समक्ष इन्हीं शिवसैनिकों के मार्फ़त पहुंचाई गई तो शिवसैनिकों में नई ऊर्जा आएंगी। तब मनपा चुनाव के ऐन वक़्त पर सभी प्रभागों में उम्मीदवार खुद का खड़ा कर पाएंगे।

उल्लेखनीय यह भी हैं कि आज जो जिला या शहर प्रमुख पद के दौड़ में शामिल हैं,वे कभी सक्रिय थे और न भी,कुछ सक्रिय न रहते हुए भी जुगाड़ू प्रवृत्ति के रहे.पक्ष ने सर्वसम्मति के शहर व् जिला प्रमुख के साथ शहर व जिला की कार्यकारिणी भी घोषणा की तो सेना फिर से नागपुर शहर व् जिला में अपनी पैठ मजबूत कर सकती हैं.