Published On : Tue, Oct 10th, 2017

जब नियम से ब्रिज बना ही नहीं तब तोडा कैसे जा सकता है

Advertisement

Nitin Gadkari
नागपुर:
मानस चौक से जयस्तंभ चौक के बीच बनाये गए ब्रिज को ध्वस्त करने चर्चा इन दिनों शुरू है। खुद शहर के सांसद और केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ब्रिज की कई कमियां गिना चुके है। सूत्रों से मिली जानकारी के तहत महानगर पालिका इस ब्रिज को ध्वस्त करने की प्रक्रिया को शुरू भी कर चुकी है। लेकिन इन्ही सब चर्चाओं के बीच आरटीआई कार्यकर्त्ता टी एच नायडू ने भी ब्रिज के इनलीगल ( अनियमित )होने का दावा किया है। आरटीआई के द्वारा मनपा से हासिल दस्तावेज के सहारे नायडू का कहना है की वर्ष 2004 में बनाये गए इस ब्रिज को बिना प्रसाशनिक मंजूरी के बनाया गया उन्होंने सवाल उठाया की जब यह ब्रिज नियम से बना ही नहीं तो इसे तोडा कैसे जा सकता है।

लगभग 15 करोड़ की लागत से बनाये गए इस ब्रिज से सम्बंधित जो भी दस्तावेज नायडू को मनपा द्वारा उपलब्ध कराये गए है उसमे किसी में भी मनपा की साइनिंग अथॉरिटी के हस्ताक्षर भी नहीं है। इस ब्रिज को लेकर लगातार उठ रहे सवालो के बीच उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने 2010 में स्वतः संज्ञान लिया था। इस मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने अपने निर्णय में खुद पाया था की ब्रिज का न ही नक्शा पास हुआ और न ही इसे तकनीकी रूप से मंजूरी दी गई।

मसाला सिर्फ एक ब्रिज के निर्माण और उसे तोड़ने भर का नहीं है। ब्रिज के निर्माण से पूर्व स्टेशन के पश्चिमी द्वारा पर मौजूद 154 दुकानदारों से बाकायदा करार कर उन्हें यहाँ दुकाने उपलब्ध कराई गई थी। अब इस दुकानदारों को अपनी रोजी रोटी छिनने का डर सता रहा है। इन दुकानदारों की माँग है की कोई भी फैसला लेने से पहले उन पर गंभीरता से विचार किया जाये।

दूसरी तरफ नायडू इस ब्रिज के निर्माण और तोड़ने को शहर के आम करदाताओं के पैसे की बर्बादी से जोड़ रहे है। उनका कहना है की कैसे 15 करोड़ का काम बिना मंजूरी से कर लिया जाता है। जिसका प्रस्ताव बाकायदा स्थाई समिति द्वारा पास भी किया जाता है लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इस काम की मान्यता को दर्शाते किसी भी तरह के कागज उपलब्ध नहीं है। उन्होंने मनपा प्रसाशन उन्हें आरटीआई में माँगी गयी जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।