– मामला प्रकाश में आने पर गैरकृत करता एनएचएआई कागजी लीपापोती में लगा
– दूसरी ओर मनपा प्रशासन भी डिम्ट्स ठेकेदार को राहत प्रदान करने के मूड में
नागपुर: सरकारी विभाग के प्रमुखों द्वारा तय नियम-शर्तों को दरकिनार कर टोल नाका, शहर बस संचालन का ठेका देने की परंपरा शुरू किए जाने से सरकारी राजस्व को अच्छा-खासा चूना लग रहा है। क्योंकि शुरुआत में बैंक गारंटी वसूला नहीं जाता और बाद प्रशासन ठेकेदार को बचाने के लिए सरकारी कागजातों की लीपापोती करते हैं तो ठेकेदार ठेका छोड़ने की धमकी देने लगते हैं।
हालही में नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से संबंधित एक मामला प्रकाश में आने पर खुलासा हुआ कि नागपुर-सावनेर-बैतूल महामार्ग पर पाटनसावंगी स्थित टोल नाका है,जिसे एक माह पहले संचालन के लिए मुम्बई के एक ठेकेदार प्रवीण पांडे नामक शख़्स को दिया गया था। टेंडर की शर्तों के अनुसार पांडे ने बिना बैंक गारंटी जमा किए ठेका हासिल करने में सफलता हासिल की। अब इस मामले का सार्वजनिक रूप से खुलासा होते ही एनएचएआई प्रशासन लीपापोती में भीड़ गया हैं। क्योंकि इस गैरकृत मे भारी लेनदेन हुआ है,इसलिए ठेकेदार मदमस्त है।
दूसरे मामले में मनपा प्रशासन ने सरकारी नियमों को ताक पर रख शहर बस की निगरानी करने वाली आईबीटीएम ऑप्रेटर दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टीमॉडल ट्रांजिट सिस्टम लिमिटेड याने डिम्ट्स को बिना उससे बैंक गारंटी लिए कार्यादेश सौंप दिया। जब मनपा प्रशासन का एक धड़ा डिम्ट्स से बारंबार बैंक गारंटी की राशि 5 करोड़ 39 लाख 62 हजार 772 रुपए की मांग करते रहा। जब नहीं जमा करवाया गया तो मनपा प्रशासन ने उसका मासिक देयक देना बंद कर दिया। डिम्ट्स एक तो बैंक गैरंटी जमा कराने का इच्छुक नहीं, वहीं इसे लेकर जब मनपा की ओर से छह माह का पेमेंट रोका गया तो उनकी ओर से काम बंद करने की चेतावनी तक दे डाली है। इससे सकपकाई मनपा परिवहन समिति ने डिम्ट्स को कुल बैंक गैरन्टी में से 2 करोड़ 13 लाख 90 हजार 949 रुपए की सहूलियत देने के लिए आज होने वाली परिवहन समिति की बैठक में मंजूरी प्रदान कर देगी। वहीं डिम्ट्स को संचलन का ठेका मिलने के बाद उसने परफॉर्मेंस गारंटी के तहत 107.92 करोड़ सालाना देने के बजाय 89.93 करोड़ देने में रुचि दिखाई थी।
उल्लेखनीय है कि इन दोनों मामलों में एनएचएआई और मनपा प्रशासन के संबंधित अधिकारियों ने खुद के स्वार्थ को दरकिनार कर ठेका शर्तों के हिसाब से बैंक गारंटी वसूल कर ठेके का कार्यादेश दिया होता तो आज इन दोनों विभाग की कार्यप्रणाली पर उंगलियां नहीं उठती। सूत्रों की माने तो सरकारी विभागों में बैंक गारंटी मामले की अनगिनत अनियमितताएं हैं। खादी की शह पर सरकारी नियमों को दरकिनार कर खाकी, ठेकेदारों को लाभ पहुंचा कर एक तरफ अपनी स्वार्थपूर्ति कर रही है तो दूसरी तरफ सरकारी खजानों को चूना लगा रही हैं।
– राजीव रंजन कुशवाहा