नागपुर: जिले के नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस अंदरूनी कलह, टिकट विवाद और गुटबाज़ी से बुरी तरह जूझ रही है। पार्टी नेताओं की आपसी खींचतान ने कांग्रेस के लिए हालात इतने मुश्किल कर दिए हैं कि विपक्षी दलों को बिना अतिरिक्त मेहनत के लाभ मिलता दिख रहा है।
निकाय चुनावों में कुल 2,881 नामांकन दाखिल हुए हैं, लेकिन कांग्रेस के भीतर असंतोष ने कई महत्वपूर्ण सीटों पर उसकी पकड़ कमजोर कर दी है।
टिकट बंटवारे से छिड़ी बगावत, कांग्रेस में भारी नाराज़गी
कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर इस बार भारी असंतोष देखने को मिल रहा है।
कई क्षेत्रों में पुराने, निष्ठावान कार्यकर्ताओं को टिकट से वंचित कर दिया गया, जिनमें से कुछ ने निर्दलीय पर्चे भर दिए, जबकि कुछ ने विरोधी दलों की ओर रुख कर लिया है।
इससे पार्टी का वोट बैंक सीधे-सीधे प्रभावित होने की आशंका है।
राकांपा और शिवसेना (यूबीटी) ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें
महाविकास आघाड़ी (मविआ) का हिस्सा होने के बावजूद कांग्रेस इस बार सहयोगी दलों के साथ तालमेल नहीं बैठा सकी।
राकांपा (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने 11-11 नगराध्यक्ष सीटों पर अपने पैनल उतारकर कांग्रेस के समीकरण पूरी तरह बिगाड़ दिए हैं।
कई जगहों पर ये दल कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक पर सीधा असर डाल रहे हैं।
रामटेक: कांग्रेस का वोट बैंक विभाजन का ख़तरा
रामटेक में कांग्रेस के भीतर गहरा विवाद छिड़ गया है।
पार्टी ने पुराने और कार्यकर्ता-आधारित नेता दामोदर धोपटे को टिकट न देकर प्रहार जनशक्ति पार्टी के रमेश कारेमोरे को उम्मीदवार बनाया।
नाराज़ धोपटे ने निर्दलीय नामांकन भर दिया है।
यदि वे नाम नहीं वापस लेते, तो कांग्रेस का वोट सीधा बंटेगा—जिसका सीधा फायदा भाजपा और शिंदे सेना को मिलेगा।
कामठी: प्रतिस्पर्धा में भारी भीड़, कांग्रेस पिछड़ने की आशंका
कामठी में कांग्रेस मल्टी-कॉर्नर मुकाबले में उलझ गई है।
यहाँ BJP, राकांपा (अजित पवार), शिंदे सेना, यूबीटी, आप, एमआईएम, बसपा और वंचित जैसे कई दल मैदान में हैं।
जबकि कांग्रेस के भीतर ही एक बड़ा हिस्सा टिकट वितरण से असंतुष्ट है।
इस सीट पर कांग्रेस संगठनात्मक कमजोरी के चलते खुद को बचाए रखने में संघर्ष कर रही है।
बागियों से बिगड़ा कांग्रेस का गणित
जिले के कई क्षेत्रों में कांग्रेस के बागी नेता खुलकर मैदान में आ गए हैं।
• वानाडोंगरी में पार्टी की दिग्गज कार्यकर्ता नाराज़ होकर विपक्षी टिकट पर उतर गईं।
• बूटीबोरी में आंतरिक संघर्ष इतना बढ़ा कि कई पदाधिकारी अन्य दलों में शामिल हो गए।
• सावनेर, खापा और महादुला में भी कांग्रेस को अंदरूनी फूट का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इन परिस्थितियों में पार्टी नेताओं को नाम वापसी के लिए मनाना और संगठन को एकजुट रखना बड़ी चुनौती बन चुका है।
2,881 नामांकन: मुकाबला कड़ा, कांग्रेस की राह कठिन
जिले में कुल 2,881 उम्मीदवारों ने पर्चे दाखिल किए हैं, जिनमें
• 27 नगराध्यक्ष पदों के लिए 247, और
• नगरसेवक पदों के लिए 2,634 नामांकन शामिल हैं।
कामठी में सबसे अधिक 230, जबकि मोवाड में सबसे कम 56 नामांकन दाखिल हुए।
नामांकन के अंतिम दिन 1,920 उम्मीदवारों ने पर्चे भरकर राजनीतिक हलचल को चरम पर पहुँचा दिया।
नाम वापसी 19 से 21 नवंबर तक होगी, जिसके बाद अंतिम मुकाबला तय होगा।
सीटवार नामांकन (नागपुर जिला)
| नगर परिषद / नगर पंचायत | नामांकन |
|---|---|
| कामठी | 230 |
| वानाडोंगरी | 146 |
| वाड़ी | 174 |
| सावनेर | 130 |
| महादुला | 128 |
| उमरेड | 122 |
| नरखेड़ | 121 |
| डगडोह देवी | 116 |
| कांद्री–कन्हान | 117 |
| बहादुरा | 113 |
| रामटेक | 105 |
| काटोल | 98 |
| भिवापुर | 99 |
| कलमेश्वर | 97 |
| पारशिवनी | 89 |
| कोंढाली | 89 |
| येरखेड़ा | 90 |
| बेसा–पिपला | 92 |
| बूटीबोरी | 80 |
| मौदा | 84 |
| बड़ेगांव–तरोड़ी | 77 |
| मोहपा | 72 |
| निलडोह | 72 |
| गोधनी रेलवे | 62 |
| मोवाड | 56 |
| खापा | 67 |









