Published On : Mon, May 5th, 2025
By Nagpur Today Nagpur News

नागपुर-काटोल फोर-लेन, ठेकेदार पर क्या कार्रवाई?

हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
Advertisement

नागपुर. नागपुर-काटोल मार्ग में 13 किमी से लेकर 62 कि.मी तक के रोड को 4 लेन बनाने के लिए सितंबर 2021 में नैशनल हाई-वे एथारिटी और अग्रवाल ग्लोबल इन्फ्राटेक प्रा. लि. और ज्वाईंट स्टाक कम्पनी इंडस्ट्रीय एसो. के बीच एग्रीमेंट किया गया. किंतु इस प्रकल्प को अधूरा छोड़ दिए जाने के कारण हो रही परेशानियों को लेकर याचिकाकर्ता एपीएमसी काटोल के पर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान संचालक दिनेश ठाकरे एवं अन्य की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर दिए गए आदेश के बावजूद ठेकेदार कम्पनी की ओर से कोई जवाब दायर नहीं किया गया. जिस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट ने ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है. इस संदर्भ में सुझाव देने के आदेश सरकारी पक्ष को दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. महेश धात्रक और सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील देवेन चौहान ने पैरवी की.

कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि एनएचएआई की ओर से ठेकेदार कम्पनी ज्वाईंट स्टॉक कम्पनी इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन को 30 मार्च 2021 को ही कार्यादेश जारी किया गया था. जिसके अनुसार कम्पनी द्वारा 28 अक्टूबर 2023 को कार्य पूरा करना था. किंतु अबतक कार्य पूरा नहीं हो पाया है. फलस्वरूप लगभग 5 वर्षों से इस मार्ग के यात्री पीड़ा उठा रहे हैं. ऐसे में एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए क्या कार्रवाई की जा सकती है?. इसका सुझाव रखने के आदेश दिए. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि वाईल्ड लाइफ कारीडोअर के लिए पर्यावरण की मंजूरी काफी बाद में आई है. जिस पर कोर्ट का मानना था कि इस मार्ग को पूरा करने के लिए वन विभाग द्वारा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था.

Gold Rate
05 May 2025
Gold 24 KT 93,900/-
Gold 22 KT 87,300/-
Silver/Kg 95,300/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

कोर्ट ने पूरे मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जनहितैषी व्यक्तियों ने एनएच-357-जे नागपुर काटोल सेक्शन पर परियोजना को पूरा करने में केंद्रीय परिवहन विभाग तथा नेशनल हाई-वे एथारिटी की ओर से निष्क्रियता के मामले में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. ऐसा प्रतित होता है कि पिछले कुछ वर्षों से परियोजना को उसके तार्किक अंत तक नहीं पहुंचाया गया है. अंतरिम आदेश के माध्यम से कोर्ट ने न केवल रेडियम बोर्ड लगाने बल्की डायवर्सन बोर्ड के रखरखाव के मामले में तत्काल कदम उठाने के आदेश भी प्रतिवादियों को दिए थे. हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार सुनवाई के दौरान प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने आनलाइन माध्यम से उपस्थिति दर्ज की.

Advertisement
Advertisement