Published On : Thu, Oct 11th, 2018

खतरनाक होर्डिंग्स: क्या हमें पुणे जैसे किसी हादसे का इंतेजार है !

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नागपुर: शहर के भीतरी और मुख्य मार्गों पर इन दिनों होर्डिंग्स का जाल सा बिछा हुआ है. विविध तरह के विज्ञापनों के लिए बनाए गए होर्डिंग्स के कुछ स्टैंड तो वर्षों पुराने हैं. इनकी न ही समय पर दुरुस्ती की जाती है और न ही योग्य तरीके से देखरेख होती है. यही वजह है कि सड़क पर चलने वालों के लिए यह होर्डिंग्स जानलेवा बन गए हैं. मामूली दुर्घटना भी कई लोगों की जान ले सकती है.

दरअसल पुणे के पुराना बाजार स्थित शाहीर अमर शेख चौक में एक भारी-भरकम होर्डिंग्स अचानक गिरने से 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 8 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए. एक रिक्शा, एक दोपहिया और एक कार को काफी नुकसान भी हुआ. इस घटना के बाद होर्डिंग्स की मजबूती पर सवाल उठने लगे हैं. लोहे के एंगल, नट बोल्ट के कसे होर्डिंग्स में कुछ पाइप और लोहे की पत्रे भी लगाए जाते हैं. अक्सर लोहा जंग खाता है. इस वजह से धीरे-धीरे से होर्डिंग्स का स्टैंड भी कमजोर होता रहता है. इस ओर गंभीरता नहीं बरतने से ही इस तरह के हादसे सामने आते हैं. शहर के कुछ हिस्सों में 20-25 वर्ष पुराने स्थायी स्वरूप के विशाल होर्डिंग्स देखे जा सकते हैं.

देखरेख पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
अधिकांश होर्डिंग्स सड़क किनारे और भीड़वाले वाले इलाकों में ही लगे हैं. ताकि लोगों का ध्यान आकर्षित कर सके. किसी भी चौक पर सिंग्नल के इंतजार में रुकने पर वाहन चालकों का पहला होर्डिंग्स पर ही जाता है. वर्धा रोड, सीताबर्डी, गांधीबाग, इतवारी, इंदोरा चौक, एलआईसी चौक, सदर, सक्करदरा, अमरावती रोड, काटोल रोड, महल, वर्धमाननगर, कोराडी रोड सहित अन्य भागों में विशाल होर्डिंग्स लगाए गए हैं. वहीं कई जगह इमारतों पर भी होर्डिंग्स के स्टैंड बनाए गए हैं. प्राय: बारिश के दिनों में तेज हवा चलने पर होर्डिंग्स ऊखड़ जाते हैं. सड़कों पर हजारों लोग हर दिन आवागमन करते है. यही वजह है कि होर्डिंग्स की दुरुस्ती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

सिग्नल के पोल पर नेताओं के फ्लैक्स
होर्डिंग्स के लिए मनपा की अनुमति लेना पड़ता है, लेकिन कई जगह ‌बिना अनुमति भी फ्लैक्स लगाए जा रहे है. किसी नेता का जन्म दिन हो या फिर अन्य कोई समारोह लोग किसी भी तरह की परवाह किए बिना होर्डिंग्स और फ्लैक्स लगा देते हैं. इन दिनों ट्राफिक सिग्नल के पोल के बीच फ्लैक्स लगाने की भरमार हो गई है. इस वजह से सामने का सिग्नल भी नहीं दिखता. यह पूरी तरह से अवैध होने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. दरअसल इस तरह के फ्लैक्स यातायात में दिक्कतें तो पैदा कर रहे हैं, साथ ही शहर की सुंदरता को भी खराब कर रहे हैं. अधिकांश फ्लैक्स नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं के ही होते है. इस हालत में फ्लैक्स में लगे फोटो के आधार पर उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.