Published On : Mon, Dec 26th, 2016

नागपुर के मुस्लिम संगठन ने पतंग उड़ाने को ‘हराम’ घोषित किया

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नागपुर :
नागपुर शहर के एक अल्पज्ञात मुस्लिम संगठन असक़फ़तूर रज़विया ने पतंग उड़ाने को मुसलमानों के लिए ‘हराम’ घोषित करते हुए शहर के मुस्लिम युवाओं से इस बुराई से दूर रहने को कहा है। संगठन की ओर से शहर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में पोस्टर लगाए गए हैं और इन क्षेत्रों में पोस्टर के पक्ष और खिलाफत में आवाजें उठ रही हैं।

उल्लेखनीय है कि हर साल मकर संक्रांति के निमित्त दिसम्बर महीने के अंतिम सप्ताह से ही शहर में पतंग उड़ाने का दौर शुरू हो जाता है और यह जनवरी महीने के आखिरी तक जारी रहता है।

हर साल नायलॉन मांजे के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए जाते हैं और इस साल के आरंभ में ही ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कांच से घोटे गए मांजे से पतंग उड़ाने पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगा दिया था। लेकिन असक़फ़तूर रज़विया जो बरेलवी जमात से संलग्न है और इस्लामी मान्यताओं के प्रति कट्टर रुख अख्तियार करता है, ने पतंग उड़ाने को ही मुसलमानों के लिए ‘हराम’ घोषित कर दिया है। संगठन के पोस्टर में कहा गया है कि मुसलमानों को इस बुराई से दूर होकर विकास के लिए कोशिश करनी चाहिए।

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संगठन द्वारा पतंग उड़ाने को ‘पाप’ और ‘हराम’ करार दिए जाने पर नगर के आम लोगों एवं बुद्धिजीवियों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

कई वुद्धिजीवी पतंग उड़ाने को देश की गंगो-जमुनी तहज़ीब का हिस्सा मानते हैं और ज़ोर देकर कह रहे हैं कि ऐसे मांजे के इस्तेमाल से बचना चाहिए जिससे आसमान में उड़ने वाले परिंदों को नुकसान पहुँचता है।आम तौर पर इस्लामी विद्वानों ने संगठन के पोस्टर की इस लिहाज़ से तारीफ की है कि उसमें परिंदों के घायल होने और उनके फ़ना होने की बात कही गई है लेकिन इस लिहाज़ से सभी ने आलोचना की है कि बरसों पुरानी इस परंपरा को खास मज़हबी चश्मे से देखने की कोशिश की जा रही है।

सभी बुद्धिजीवियों ने एक स्वर में कहा है कि पतंग उड़ाने अथवा नहीं उड़ाने का फैसला उड़ाने वाले पर छोड़ देना चाहिए, हाँ यह सख्ती जरूर की जानी चाहिए कि पतंगें सिर्फ सूती के मांजे से ही उड़ायी जाएं।

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