– गर्मियों में रोपण के कारण पेड़ के जीवित रहने की कोई संभावना नहीं -भूमिका तिरपुड़े
नागपुर– सवाल यह है कि क्या नागपुर महानगरपालिका पेड़ लगाना और उन्हें जिंदा रखना चाहता है या सिर्फ दिखावा करना चाहता है. पेड़ कब लगाना है, इसके कुछ प्राकृतिक नियम हैं। हालांकि मनपा के अधिकारियों ने 44.6 डिग्री तापमान पर पौधारोपण अभियान शुरू कर दिया है. इस पर सवा दो करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। चूंकि गर्मियों में रोपण के कारण पेड़ के जीवित रहने की कोई संभावना नहीं है, इसलिए रुपये का नुकसान होगा।
पांच साल पहले जब अनिल सोले महापौर थे तब मनपा ने एक दिन में एक लाख पेड़ लगाने का रिकॉर्ड बनाया था। इसके बाद उक्त पेड़ों का पता नहीं लगा सका है। लगाए गए पेड़ों का अता-पता मनपा उद्यान विभाग को भी नहीं मिले।
याद रहे कि बारिश शुरू होने पर पेड़ लगाए जाते हैं। तो पेड़ रहते हैं। लेकिन मनपा इसे प्राकृतिक कानून मानने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग के तहत एनएमसी को 2 करोड़ 14 लाख रुपये दिए हैं. इसमें से विश्वविद्यालय की 15 एकड़ भूमि में पौधे रोपे जाएंगे और अभियान की शुरुआत 44.6 डिग्री सेल्सियस तापमान में किया जा रहा. ऐसे में सवाल उठता है कि इस तापमान पर लगाए गए पौधे कैसे बचे रहेंगे?
मनपा राष्ट्रसंत टुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के जमनालाल बजाज प्रशासनिक भवन के परिसर में 8,000 पौधे लगाएगा और यहां के जंगल को कवर करेगा। मनपा और विश्वविद्यालय के अधिकारियों की मौजूदगी में इस पेड़ का रोपण शुरू किया गया. फिलहाल नागपुर में पारा 44 डिग्री के पार चला गया है. इस तापमान पर शहर की भौगोलिक स्थिति वृक्षारोपण के लिए अनुकूल नहीं है, जैसा कि शहर में कोई भी आम नागरिक बता सकता है।
लेकिन उच्च शिक्षित अधिकारी ही इससे अनभिज्ञ नजर आते हैं। इस समय आयुक्त ने प्रशासन को पेड़ लगाने और पेड़ों को पानी की आपूर्ति करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करने का निर्देश दिया.
ठेकेदार तीन साल के रखरखाव का जिम्मा
वृक्षारोपण का ठेका मनपा ने तेजस सुपरस्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। यह कंपनी तीन साल तक पेड़ों के रखरखाव करेगी। विश्वविद्यालय की 15 एकड़ भूमि में विभिन्न प्रजातियों के 8000 पेड़ लगाए जाएंगे।
एमओडीआई फाउंडेशन की सदस्या एवं पर्यावरणविद भूमिका तिरपुड़े के अनुसार नागपुर का पारा 40 डिग्री सेल्सियस पार हो चूका है,इस भीषण गर्मी में पौधे जीवित नहीं रह सकते हैं। इस तापमान पर पेड़ लगाना प्रकृति के विरुद्ध है।