– उपराजधानी की महानगरपालिका को लेकर राज्य की सत्ताधारी गंभीर नहीं,वित्त सम्बंधित सम्पूर्ण व्यवहार ठप्प,आर्थिक घोटालों को लेकर मनपा प्रशासक गंभीर नहीं
नागपुर : लगभग 2,000 करोड़ रुपये का सालाना व्यवहार करने वाली राज्य की उपराजधानी की महानगरपालिका में पिछले कुछ माह से वित्त और लेखा अधिकारी के बिना काम कर रहा है। इससे विकास कार्य बाधित हो रहा है और कर्मचारी भी दहशत में हैं। वित्तीय मामलों पर सरकार के पत्र भी धूल में हैं।
एनएमसी के मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी विजय कोल्हे सेवानिवृत्त हो गए हैं,जो स्टेशनरी घोटाले में लिप्त थे। शहर में विकास की गति को बनाए रखने के लिए मनपा के साथ नासुप्र को जिम्मेदारियां दी गई हैं। वित्त एवं लेखा विभाग विकास कार्यों को करते समय वित्तीय मामलों, विकास ठेकेदारों, अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन की जाँच के लिए भी जिम्मेदार है। लेकिन एनएमसी का प्रभार नासुप्र के वित्त एवं लेखा अधिकारी विलिन खडसे को दिया गया.दोनों बड़े संस्थान का आर्थिक व्यवहार संभालने में खड़से असफल दिख रहे.
स्टेशनरी घोटाले में निलंबित वित्त एवं लेखा अधिकारी ही नहीं बल्कि लेखा अधिकारी मेश्राम की भी कोई जिम्मेदारी किसी को नहीं दी गई है. इसके अलावा प्रत्येक माह अमूमन सभी विभाग से अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। नतीजतन, एक ही अधिकारी और कर्मचारी को कई जिम्मेदारियां दी गई हैं ,इससे वर्क लोड बढ़ गया,नतीजा रोजाना की जिम्मेदारियों पर असर पड़ रहा। फ़िलहाल वित्त विभाग राम भरोसे हो गया हैं.
दरअसल मनपा को पुर्णकालिन वित्त और लेखा अधिकारी एक पूर्णकालिक अधिकारी की जरूरत है,जबतक इसकी व्यवस्था नहीं होती मनपा का सम्पूर्ण आर्थिक व्यवहार पटरी पर नहीं आ सकता।
उल्लेखनीय यह है कि कई विकास कार्यों का भुगतान रुका हुआ है। इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। राज्य मंत्रिमंडल में शहर के जनप्रतिनिधि होने के बावजूद उनकी मनपा को लेकर निष्क्रियता से कई सवाल खड़े हो रहे,सम्बंधित सभी त्रस्त हैं.
सीसी रोड सह स्टेशनरी घोटाले के बाद भी गंभीरता नहीं !
मनपा में करोड़ों रुपये के सीमेंट सड़क फेज 2 अंतर्गत बोगस खाते में भुगतान सह स्टेशनरी घोटाले का पर्दाफाश हुआ. वित्त एवं लेखा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य विभागों के अधिकारी भी निलंबित हैं। इतना बड़ा घोटाला उजागर होने के बाद भी किसी पूर्णकालिक मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण प्रशासन की गंभीरता पर भी सवाल खड़ा हो गया है.सीमेंट सड़क फेज 2 का आर्थिक घोटाले को मनपा प्रशासक ने सिरे से दबा दिया,जबकि लोकायुक्त को गंभीर दखल लेने का वादा किया था.इस मामले में एक भी सम्बंधित अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई,बल्कि उन्ही अधिकारियो को तरजीह दी जा रही हैं.