
गोंदिया। करियर की भूख में कलयुगी मां ने रचा ऐसा खौफनाक षड्यंत्र जिसे देख कर पुलिस भी सन्न रह गई और गांव दहल गया।
मां का चेहरा और राक्षसी इरादा इतना खौफनाक हो सकता है यह तो किसी ने सोचा भी नहीं था। पहले 20 दिन के नवजात बच्चे के अपहरण का ड्रामा…और फिर वैनगंगा नदी में मासूम को फेंककर लौटी ऐसे जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
ये कहानी नहीं… गोंदिया की सबसे हिला देने वाली सच्चाई है।
नर्स का काम होता है , जिंदगी बचाना लेकिन गोंदिया तहसील के ग्राम डांगुर्ली की 22 साल की रिया फाये ने वही हाथ, जो मरीजों की नब्ज संभाल सकते थे
अपने ही 20 दिन के नवजात बेटे “विराज” की जीवन-रेखा काट दी और वजह? “मुझे जॉब करना था… बच्चा मेरी लाइफ में बाधा था।”
सस्पेंस की रात , बदहवास मां और अपहरण की कहानी
18 नवंबर की सुबह, रिया थाने पहुंची और कंपकंपाती आवाज़ में बोली- साहब..“कोई मेरा बच्चा उठाकर ले गया!” 17 नवंबर की रात 10:15 से 10:40 के बीच ‘ अज्ञात ‘ अपहरण का आरोप लगा।
रावणवाडी पुलिस ने तुरंत अपराध क्रमांक 619/2025 धारा 137(2) भारतीय न्याय संहिता के तहत दर्ज कर लिया तथा नवजात शिशु एवं अज्ञात आरोपी की खोज शुरू की गई।
लेकिन जांच शुरू होते ही पुलिस ने नोटिस किया- कांपती आंखें थीं, पर आंसू नहीं। घबराहट थी… पर मातृत्व की वो तड़प नहीं।
जांच के दौरान प्राप्त गुप्त सूचना तथा रिया के बयान और उसके बर्ताव ने एक ही तथ्य पर उंगली उठाई… बाहर वाला नहीं , यह खेल घर के अंदर ही हुआ है।
पुलिस ने रिया को डिटेन कर जब कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो वह टूट गई और फिर सामने आया ऐसा सच और जिसने पुलिस वालों की रूह तक जमा दी।
नर्सिंग की पढ़ाई , करियर के लिए मासूम की बालि
राजेंद्र सिंह और रिया के बीच लव था , प्रेमी मजदूरी करता था और रिया पढ़ी-लिखी है और उसने नर्सिंग का डिप्लोमा किया हुआ है ।
शादी से पहले राजेंद्र सिंह ने आश्वासन दिया था कि मैं गोंदिया में रहूंगा और तू किसी अस्पताल में जॉब करना?
2024 की शुरुआत में प्रेम विवाह रचाने के बाद वह दो माह तक गोंदिया में रही इसके बाद पति पत्नी में झगड़ा हुआ तो वह बिना बताए मायके चली गई।
मायके वालों ने आने नहीं दिया तो ग्राम बिरसी में अपने मामा के यहां चली गई तब वह डेढ़- से दो माह की प्रेग्नेंट थी तो उसके मामा ने एबॉर्शन भी करवा दिया।
किसी बीच पति ने गुमशुदगी की की रिपोर्ट दर्ज करवा दी तो पुलिस वाले मायके के घर पर जा रहे थे दबाव बढ़ता देख वह वापस पति के पास आ गई।
करियर का जुनून , मां ही बनी बेटे की कातिल
रिया के बदले हाव-भाव दे दिखे तो संदेह होने पर पति ने कहा- अब मैं गोंदिया नहीं रहूंगा अपने गृहक्षेत्र डांगुर्ली में रहूंगा ? तब वह डांगुर्ली आकर खुद को ठगा और जकड़ा सा महसूस करने लगी। उसने नर्सिंग का कोर्स किया था सपने बड़े थे तो उसने पति से कहा-मुझे पुणे जाना है वहां जॉब करना है लेकिन पति परमिशन देता नहीं था।
जैसे ही बच्चे के लिए प्रेगनेंसी हुई तो वह गर्भपात करने की कोशिश में जुट गई किंतु डांगुर्ली
छोटा गांव होने से उसे दवा नहीं मिली , इस बीच जब भी वह जांच के लिए गोंदिया आई तो पति भी साथ आने लगा और घर में रहने की वजह से रिया के पास पैसे भी नहीं थे।
देखते-देखते तीन माह से ऊपर हो गए तो गर्भपात की संभावना भी खत्म हो गई इसलिए उसने बच्चा होने दिया ।
जैसे ही बच्चा हुआ उसके दिमाग में ऐसा पहले से फिट था बच्चे को ठिकाने लगा दूंगी और आगे जाकर अपना कैरियर बनाऊंगी।
डांगुर्ली ब्रिज पर मौत का फैसला, शिशु को नदी में फेंका
17 नवंबर की रात गांव सो रहा था..मां जाग रही थी , हत्या की नीयत से , नवजात शिशु को खत्म करने का प्लान तैयार था वह पीछे के दरवाजे से निकली। 20 दिन का मासूम ‘ विराज ‘ उसकी गोद में था।
ठंडी, अंधेरी, शांत रात और घर से कुछ दूरी पर स्थित वैनगंगा नदी…ब्रिज पर वह कुछ सेकंड खड़ी रही…फिर अपने ही बेटे को नदी में फेंक दिया और वापस घर में आ गई बिल्कुल शांत, बिल्कुल सामान्य जैसे यह सब उसके रूटीन का हिस्सा हो।
इतना खौफनाक, इतना सुनियोजित षड्यंत्र सुनकर पुलिस भी सुन्न रह गई।
नदी से मिला , 20 दिन का छोटा सा निर्जीव शरीर
रिया के कबूलनामे के बाद बचाव शोध दल तथा स्थानीय मछुआरों गोताखोरों की मदद से वैनगंगा नदी में तलाश अभियान चलाया , पुल के नीचे नदी के पानी में नवजात ‘ विराज ‘ का निर्जीव शरीर बरामद करने में पुलिस ने सफलता हासिल की इस दौरान पूरी टीम की नज़रें भर आईं क्योंकि अस्पतालों में जान बचाने की ट्रेनिंग लेने वाली नर्स ने ही घर में कर दिया मासूम का अंत , नर्सिंग डिप्लोमा पास रिया ने लोगों की जिंदगी बचाने की शपथ ली थी लेकिन उसने सबसे पहला खून अपने ही बेटे का किया।
बहरहाल निर्दयी मां रिया फाये को गिरफ्तार कर लिया गया है,आगे की जांच जारी है।
इस केस की गुत्थी SP गोरख भामरे , अपर SP अभय डोंगरे , SDPO रोहिणी बानकर के मार्गदर्शन में स्थानीय अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक पुरुषोत्तम अहेरकर तथा उनकी टीम राजू मिश्रा , संजय चौव्हान , दीक्षित कुमार दमाहे , छगन विट्ठले , योगेश राहिले , मुरली पांडे और रावणवाड़ी थाने के सपोनि शशिकिरण नावकार , गिरीश पांडे, रणजीत सिंह बघेले , मल्लेवार द्वारा सुलझाई गई।
रवि आर्य










