
वर्तमान शहराध्यक्ष सुधाकर कोहले दक्षिण नागपुर से विधायक भी हैं.वे ग्रामीण से शहर भाजपा नेता गडकरी की कृपा से आये,नगरसेवक बने,नगरसेवक बनते ही उन्हें नासुप्र का विश्वस्त बना दिया गया।भाजपा की नई ब्रिगेड के सबसे बड़े व अग्रणी लाभार्थियों में से एक कहे जाते हैं। अबतक सबसे ज्यादा अवसर मिलने के बाद शहर भाजपाइयों में पैठ नहीं बना पाए। भाजपा को सत्ता मिलते ही अपने परिजनों को सरकारी ठेके दिलवाने के लिए नागपुर जिले के भाजपाई पालकमंत्री से मुख्यमंत्री के समक्ष उलझ चुके हैं।जमीन विवादों में उनका नाम उन्हीं के लोगों ने घसीट कर अड़चन में लाये।

इस दौरान ‘यारबाज’ मते ने सर्वपक्षीय साथियों के सुख-दुख में बने रहे।नतीजा कुछ माह पूर्व जब वे 50 के हुए शहर के सर्पक्षीय साथी व समर्थकों ने उनका जोरदार अभिनदंन समारोह कर पुनः राजनीत में मोहन को सक्रिय होने का आगाज किया।इस समारोह की आज भी चर्चा होती रहती हैं।क्योंकि ऐसा समारोह शहर में किसी भी क्षेत्र में सक्रिय रहने वालों का जब 75 (उनका उम्र) पूरा हो जाता हैं तब आयोजन किया जाता हैं।
उल्लेखनीय यह हैं कि अगले वर्ष लोकसभा व विधानसभा चुनाव होने वाली हैं। इसलिए सभी पक्ष अपने दमदार नेतृत्व के सहारे शहर में सक्रिय होने की योजना बनाये हुए हैं। प्रमुख राजनैतिक पक्षों और अपने सहयोगी पक्ष की आक्रमकता से सामना करने हेतु भाजपा अपने पुराने साथी मोहन मते के कंधों पर शहर की कमान सौंप चुनावी जंग जितना चाह रहे हैं।
भाजपा राजनीत में स्थिरता याने गडकरी-फडणवीस में मते को लेकर एकमत रहने पर अप्रैल माह में शहर का भाजपाध्यक्ष बदला जा सकता हैं। कोहले को मिल सकता हैं एक और तोहफा उक्त त्याग कर लिए गडकरी की इच्छा पर आगामी मंत्रिमंडल में या फिर महामंडलों के वितरण में स्थान दिया जा सकता हैं। वैसे मंत्रिमंडल व महामंडलों में स्थान पाने के लिए जिले से दो दर्जन भाजपाई व बाहरी एड़ी चोटी लगा रहे हैं।
कोहले कलमेश्वर-सावनेर विस में सक्रिय
मुख्यमंत्री अपना गुट मजबूत करने के लिए मोहन मते को दक्षिण नागपुर से अगला विधानसभा चुनाव लड़वाने की सोच रहे हैं।दक्षिण के वर्तमान विधायक सुधाकर कोहले को घर बैठाने के बजाए उन्हें कलमेश्वर-सावनेर विधानसभा क्षेत्र में अभी से सक्रिय होने का आदेश दे दिए जाने से वे सक्रिय हो चुके हैं।आगामी विधान सभा चुनाव में गडकरी के हमखास कोहले-केदार के मध्य चुनावी द्वंद देखने को मिल सकती हैं।यह चुनाव खासकर गडकरी के लिए चित भी उनकी व पट भी उनका ही रहेंगा।वैसे भी सावनेर की जनता अब बदलाव के मूड में हैं।पिछली दफे ही बदलाव हो गया होता अगर एनसीपी उम्मीदवार ने 5-6 हज़ार मत और ले लिया होता।









