नागपुर: अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिन के अवसर पर राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग की ओर से शुक्रवार को महाविद्यालयों के प्राचार्यो और अधिकारियों की सभा का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में नागपुर जिले व अन्य जिलों के प्राचार्य भी शामिल हुए थे. सभा में प्रमुख रूप से राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. सिध्दार्थविनायक काणे, पूर्व कुलसचिव सुभाष बेलसरे व आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग प्रमुख मोहन काशीकर मौजूद थे.
इस दौरान काशीकर ने जानकारी देते हुए बताया कि 1978 में इस विभाग की शुरुआत हुई थी. विभाग की ओर से अनेक मुहीम को चलाया गया. जिसमें लोक मंडल अध्ययन, महिला अध्ययन और राष्ट्रसंत सूचना अध्ययन प्रमुख हैं. पारम्पारिक शिक्षा से विभिन्न आतंरिक गुणों का विकास करने के लिए इस विभाग से योजनाएं चलाई जाती हैं. उन्होंने बताया कि अब तक कुल 10 हजार विद्यार्थियों ने इन योजना में सहभाग लिया है.
कुलगुरु सिदार्थविनायक काणे ने इस दौरान कहा कि नए विश्वविद्यालय कानून के अंतर्गत कई कमिटियां और मंडल बनाए गए हैं तो कुछ के नाम भी बदले गए हैं. आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग का किस तरह से विस्तार किया जाए इस पर विचार किया जा रहा है. काणे ने कहा कि पहले हिंदी, मराठी और इंग्लिश ये तीन भाषाएं थीं लेकिन अब मोबाइल की भाषा विकसित हो चुकी है. जिसमें आम आदमी बात करता है, कई बार लिखते समय अंक भी डाल दिए जाते हैं और कई बार इमोजी का भी प्रयोग किया जाता है. पहले साक्षर वह होता था जो पढ़ा लिखा होता था. लेकिन अब मोबाइल जैसे उपकरण ने साक्षरता की व्याख्या बदल दी है.
काने ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अब लोगों का कम्युनिकेशन बदल चुका है. उन्होंने बताया कि आजीवन अध्ययन व विस्तार विभाग अपने आप में एक विश्वविद्यालय है जहां विभिन्न कौशल्य योजनाएं चलाई जाती हैं. उन्होंने बताया कि कोई भी विद्यार्थी इस विभाग में प्रवेश लेकर विभाग की इस मुहीम में शामिल हो सकता है.
सभा में मौजूद सुभास बेलसरे ने कहा कि जब इस विभाग की शुरुआत की गई थी तो देश के करीब 200 विश्वविद्यालयों में यह कौशल्य विकास कार्यक्रम शुरू किया गया था. उस समय 15 से 20 करोड़ लोगों ने पूरे भारत के इस कौशलय योजना का लाभ लिया था.