नागपुर: भारतीय जनता पार्टी में आतंरिक असंतोष बढ़ता जा रहा है। जिले के तीन विधायकों अलग-अलग मुद्दों पर अपनी ही सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। लंबे वक्त से अपनी पार्टी से नाराज काटोल के विधायक सार्वजनिक मंच पर खुलेआम मुख्यमंत्री की आलोचना करने से नहीं थकते। हालही में एक बार उन्होंने मुस्लिम समाज के आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया।
हलबा समाज से आने वाले मध्य नागपुर से विधायक विकास कुंभारे लंबे वक्त से हलबा समाज के प्रश्न को उठा रहे है। अब तो उन्होंने भी अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए हमला बोला है। राष्ट्रीय आदिम कृति समिति के चिंतन सम्मेलन में कुंभारे ने सरकार पर जमकर भड़ास निकाली। हलबा (कोष्टी) समाज को अनुसूचित जाती का प्रमाणपत्र दिए जाने की प्रक्रिया फ़िलहाल बंद है। इसके साथ ही जाति वैधता प्रमाणपत्र के वितरण पर भी रोक लगी हुई है। इस मुद्दे को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान हलबा समाज ने आंदोलन भी किया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की वजह से समाज के हजारों लोगों की सरकारी नौकरी पर तलवार लटक रही है। राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने बतौर उम्मीदवार हलबा समाज के इस प्रश्न को सुलझाने का वादा किया था। लेकिन सरकार बने चार वर्ष हो चुके है लेकिन प्रश्न जस का तस बना हुआ है।
बीजेपी के विधायक जिस मध्य नागपुर से बीते दो बार से चुनाव जीतते आये है वहाँ हलबा समाज का प्रतिनिधित्व अधिक है। सम्मेलन में कुंभारे ने आरोप लगाया की हलबा समाज की माँग की तरफ सरकार नजरअंदाज कर रही है। वो भले बीजेपी के विधायक है लेकिन उनके लिए समाज सबसे पहले है। समाज को न्याय दिलाने के लिए वो किसी भी तरह की कुर्बानी के लिए तैयार है। गौरतलब हो की बीजेपी विधायक ने अपने कार्यकाल के दौरान पद का त्याग करने की धमकी कोई पहली बार नहीं दी है। इससे पहले भी वो ऐसे बयान दे चुके है।
विधानपरिषद में शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक ना गो गाणार नागपुर से ही आते है। राज्य की शिक्षा नीति और शिक्षकों की समस्या को लेकर शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े पर उनकी नाराजगी जगजाहिर है। कई जगहों पर उन्होंने अपनी ही पार्टी के मंत्री की आलोचना कर चुके है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान स्कूलों की मदत के लिए शिक्षक भीख न माँगे ऐसा बयान दिया था। जिसकी तीखी आलोचना करते हुए गाणार ने मंत्री के बयान को तानाशाही का उदाहरण करार दिया था।